राधा (बनी ठनी) by Nihal Chand - १७५० राधा (बनी ठनी) by Nihal Chand - १७५०

राधा (बनी ठनी)

लघुचित्र, किशनगढ़ घराना •
  • Nihal Chand - 1710 - 1782 Nihal Chand १७५०

१८वी सदी में, युवराज सावंत सिंह भारत की शाही रियासत किशनगढ़ के शासक थे| उन्हें उचित रूप से महान दरबारी चित्रकार, निहाल चन्द की अद्भुत कलात्मक सफलता का श्रेय दिया जाता है| 

हालांकि निहाल चन्द और दुसरे किशनगढ़ी चित्रकार पडोसी मुघल साम्राज्य की कला से प्रभावित थे, उनके चित्रों के मज़मून, पहनाव, स्थापत्य व भूदृश्य स्वाभाविक रूप से विभिन्न हैं| किशनगढ़ी कला में सर्वव्यापी हिंदुत्व और धार्मिक शैलियां भी प्रत्यक्ष हैं| 

युवराज सावंत सिंह (खुद एक सक्षम कलाकार) ने अपनी प्रेमिका विष्णुप्रिया का रेखांकन कर निहाल चन्द से उसका चित्र बनाने को कहा| विष्णुप्रिया एक आकर्षक महिला थी जो अपने सौंदर्य और अदा के लिए जानी जाती थी| उन्हें 'बानी ठनी' का शीर्षक प्राप्त था, जिसका अर्थ होता है 'वह जो सजी-धजी है'| 

निहाल चन्द ने विष्णुप्रिया को राधा की छवि दी, जो की भगवान कृष्ण की दिव्य साथी मानी जाती हैं| किशनगढ़ घराने की विशिष्ट स्पष्ट और लम्बी मुखाकृति चित्र में दृश्यमान है|  विष्णुप्रिया के हाथो में लगी मेहंदी, रंगे नख, झीनी ओढ़नी (एक पारम्परिक छादन वस्त्र) और सोने और मोती से बने भव्य आभूषण स्त्रैण सौंदर्य की प्रतीकात्मक मिसाल हैं|

यह तस्वीर किशनगढ़ के लघुचित्रों का प्रमुख उदहारण है और १९७३ में भारतीय सरकार द्वारा जारी किये गए एक स्मारक डाक टिकट पर भी अंकित है| 

- माया टोला 

 

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