मूरी सरदार by Eduard Charlemont - १८७८ - १५०.२ × ९७.८ से. मी. मूरी सरदार by Eduard Charlemont - १८७८ - १५०.२ × ९७.८ से. मी.

मूरी सरदार

किरमिच पर तैलचित्र • १५०.२ × ९७.८ से. मी.
  • Eduard Charlemont - 1848 - 1906 Eduard Charlemont १८७८

रौबदार और भावहीन, चमकती सफेद पोशाक में एक लंबा पुरुष पहरे पे खड़ा है, अपनी संकीर्ण तलवार ऐसे पकड़े जैसे उसकी बलवान भुजा का ही अतिरिक्त अंश हो| चित्र में प्रबलता और गूढ़ता के भाव को महसूस किया जा सकता है| इस दृश्य में ऐसा मंत्रमुग्ध कर देने वाला क्या है? इसके करीबी आदमकद आकर के अलावा मज़मूँ के आलीशान पहनावे और चित्र के अँधेरे तत्वों - उसकी आबनूसी खाल और तिमिरमय परिवेश - की विषमता भी है | इसकी सूक्ष्म बारीकियाँ - कपडे की सलवटें, गुच्छों के धागे और खंजर के दस्ते और मियान पर जड़ा सोना - यह सभी यथार्थिक और उल्लेखनीय हैं| किरमिच के स्थान पर चिकनी लकड़ी को माध्यम के रूप में प्रयोग कर, कलाकार बगैर प्रत्यक्ष कूँची रेखाओं के विभिन्न पदार्थिक स्वरूपों को बड़ी उम्दगी से पेश कर सके हैं| 

कौन हैं इस अद्भुत चित्र के निर्माता? यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि वह एडूआर्ड शार्लेमॉँ हैं, विएन्ना(ऑस्ट्रिया) के एक अप्रसिद्ध चित्रकार। किशोरावस्था में उनके पिता ने उन्हें लघुचित्रकारी में शिक्षा दी थी। तत्पश्चात वे यूरोप भर में यात्रा कर अपने कलात्मक हुनर की सिद्धि में जुट गए और आखिर में फ्रांस में ३० वर्षो तक बसे रहे। शार्लेमॉँ की अधिकतम रचनायें व्यक्तिगत तसवीरें, यूरोप के आंतरिक परिवेश और भित्ति-चित्र हैं - मूरी सरदार से बहुत अलग। तथापि १९वीं सदी के यूरोप में पूर्वी देशों के प्रति बहुत सम्मोहन था, जिसमें उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया भी मौजूद थे। परिणामस्वरूप, बहुत सी प्राच्यवादी तस्वीरों का सृजन हुआ परन्तु इनमें से अधिकांश हरम की स्त्रियों के उत्तेजिक प्रदर्शन थे।

शार्लेमॉँ ने इस चित्र की नुमाईश पेरिस सैलून में १८७८ में ज़नाने का रखवाला के शीर्षक के साथ की, जो इस आदमी को एक मुसलमान घराने के अन्त:पुर के रक्षक की भूमिका में प्रस्तुत करता है। दीवारों की सजीली नक्काशी तथा आंतरिक महराब अल हम्रा से प्रेरित हैं, जो कि १३वीं व १४वीं सदी में निर्मित दक्षिणी स्पेन का एक मूरी किल्ला और महल है। जब यह चित्र १८९२ में खरीदा गया, इसे अल हम्रा के पहरेदार के नाम से जाना गया; इसकी वर्तमान उपाधि इसे दो दशक बाद मिली। अन्य प्राच्यवादी चित्रों के समान, मूरी सरदार भी एक वेशभूषित पुरुष के साथ कृत्रिम है - निराशाजनक परन्तु शानदार। 

- मार्टीना केयोगन

उपलेख - यूरोप का पूर्वी सम्मोहन युजेन डेलक्र्वा के प्राच्यवाद में भी प्रकट होता है।