रचनात्मक प्रेरणा एवं नवीन जीवन-शैली की खोज में अपने कई समकालीन कलाकारों की तरह पैट्रिक हेनरी ब्रूस १९०४ में अमेरिका छोड़ पेरिस में बस गए और वहाँ ३० वर्षों तक रहे।हेनरी मतिसी और पॉल सेज़ान की रचनाओं से प्रेरित होकर उन्होंने फ़्रांसीसी दृश्यों से शुरुआत की। उनकी आरंभिक रचनाओं में मतिसी की रंग-गहनता और सेज़ान की संरचनात्मक परिशुध्दि की छाप मिलती है।
प्रथम विश्वयुध्द के बाद उन्होंने एकोले देस बोज़ आर्ट्स के निकट स्थित अपने घर में मननशील और एकांतिक अचल चित्रण पर काम शुरू किया। उनके विषय-वस्तुओं को घर कि पुरानी तस्वीरों से पहचाना जा सकता है। ऐंटीक मेज़ पर व्यवस्थित बढ़ई के औज़ार, (ब्रूस अपना निर्वाह ऐंटीक बेचकर करते थे), लकड़ी के तराशे हुए टुकड़े,वास्तुशिल्पीय साँचे, फलों के टुकड़े आदि उनके मुख्य विषय थे। सेज़ान का प्रकृतिक आकारों का सरल चित्रण उनकी प्रेरणा का मुख्य स्त्रोत था।सेज़ान का अनुकरण करते हुए ब्रूस ने साधारण वस्तुओं का अमूर्त, ज्यामितीय आकारों में रूपांतरित कर भावात्मक और ऊर्जस्वी चित्रण किया है। चित्रों में ये आकृतियाँ ठोसाकार हैं किंतु ब्रूस ने हर वस्तु को एक अलग परिप्रेक्ष्य से चित्रित किया है।अतः हर चित्र में वस्तुएँ अस्थ-व्यस्त या फ़्रेम के बाहर गिरती प्रतीत होती हैं।
ब्रूस अपनी चित्रकारी में रंगों के अनुक्रम और मिलान का बहुत ध्यान रखते थे। इस चित्र में उन्होंने विविध प्रकार के नीले रंगों की गहनता हरे, गुलाबी, काले और सफ़ेद रंग के साथ मिला कर बढ़ा दी है। इस चित्र को बनाते हुए रंगों में ध्यानमग्न वह परत पे परत बनाते चले गए। दोबारा निरीक्षण करने पर उन्हें लगा कि चित्र में रंगों का संतुलन बदल गया है।रचना की समरसता बनाए रखने के लिए उन्होंने चित्र के कई भागों पर दोबारा काम किया(इस चित्र के काले भाग पहले नीले थे)।अतः चित्र की सतह पर रंगों की एक मोती परत है।
१९३० तक ब्रूस अकेलेपन और काला जगत में अपनी पहचान ना बना पाने के कारण हताश हो चले थे।अपनी कला की पराकाष्ठा ना पाने के कारण उन्होंने लगभग अपनी सारी रचनाएँ नष्ट कर दीं।आज ब्रूस की केवल १०० कलाकृतियाँ ही शेष हैं। १९३५ में न्यू यॉर्क लौटकर ब्रूस ने आत्महत्या कर ली। उनकी प्रगाढ़ता और कलात्मक कल्पना का सार अपने मित्र हेनरी पीयरे राश को लिखे एक पत्र में मिलता है: “ मैं घर बैठे अपने कैन्वस पर सफ़र कर रहा हूँ। देश-देशांतरों का भ्रमण ऐसे भी होता है।”
- क्लिंटन पिट्मन
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