आज ही के दिन 1471 में सवर्वकालीन महानतम कलाकारों में से एक अलब्रेक्त ड्यूरर का जन्म हुआ था| आज हम उनका आत्मचित्र प्रस्तुत करते हैं जिसकी रचना उनके उनत्तीसवें जन्मदिन से ठीक पहले हुई थी एवं यह उनके द्वारा रचित तीनआत्मचित्रों में से आखिरी है| कला इतिहासकार इसे उनका सबसे निजी, प्रतिष्ठित एवं जटिल आत्मचित्र मानते हैं|
ड्यूरर अपने आप को चिरस्मरणीय रूप में प्रस्तुत करते हैं, एक ऐसे अंदाज़ में जो कि निश्चित रूप से ईसा मसीह के चित्रण की याद दिलाता है, जिसका प्रभाव कला समीक्षकों के बीच बहस का मुद्दा रहा है| एक रूढ़िवादी व्याख्या सुझाती है कि वे मसीह के अनुकरण की परम्परा का प्रत्युत्तर दे रहे हैं| एक विवदास्पद दृष्टिकोण यह भी है कि यह चित्र कलाकार की सर्जक रूपी परम भूमिका की उद्धघोषणा है| चित्र के लैटिन अभिलेख से पिछले दृष्टिकोण का समर्थन होता है, जिसका अनुवाद इस प्रकार है: "मैंने, न्यूरमबर्ग (जर्मनी का एक शहर) का अलब्रेक्त ड्यूरर, अट्ठाइस वर्ष कि आयु में स्वयं का उचित या चिरस्थायी रंगों में चित्रण किया है"| एक अन्य व्याख्या ये मानती है कि ड्यूरर की कलात्मक प्रतिभा ईश्वर प्रदत्त है, यह रचना इसकी स्वीकृति है|
कल आपसे फिर मिलेंगे!
ड्यूरर जानते थे की एक उत्तम सेल्फी कैसे ली जाये ! :) आप इतिहास के महानतम पोर्ट्रेट कलाकारों से एकत्रित हमारे सेल्फी टिप्स यहां देख सकते हैं|