पीएटा (इतालवी में दया) ईसाई कला में एक विषय है जिसमे वर्जिन मैरी को यीशु के मृत शरीर को बाँहों में भरे दिखाया गया है। १४६५ और १४७० के बीच के वर्षों में दिनांकित यह पैनल, गिओवन्नी बेल्लिनी पर एंड्रिया मॉन्टेग्ना के प्रभाव से मुक्ति का संकेत करता है जिनसे उन्हें न केवल सांस्कृतिक सम्बन्ध से जोड़ा जाता है बल्कि रिश्ते से भी (वे जीजा-साला थे)।
पडुआन कलाकारों का सबक स्पष्ट तौर से रेखांकन के पैनेपन और आकृतियों के ढलानशीलता में दिखाई देता है जिसे आगे दर्शक के स्थान पर लाया जाता है। फिर भी बेलिनी प्राकृतिक प्रकाश के वातावरण में दृश्य को विसर्जित करते हैं, रंगत को नरम करते हैं और एक सख्त परिपेक्ष्य के निर्माण में इतना ध्यान नहीं देते जितना की नायक की दुखद मानवता पर।इस तरह वे एक नई भाषा का निर्माण करते हैं जो आगामी वर्षों में उनकी व्यक्तिगत और अचूक शैलीगत छाप बन जाएगी।
औगूस्तान युग के महान कवी, प्रोपेर्टियस जिनके छंद को छलनी के साथ पट्टी पर संदर्भित किया जाता है, अश्रु लाने वाली एक छवि की बात करते हैं- यह प्रभाव इस कृति सहित उनके अन्य कृतियों में दीखता है।
इस कृति को हम पिनकोटेका डी ब्रेरा के सौजन्य से प्रस्तुत करते हैं:)
पुनश्च: यहाँ वह सबकुछ है जो मिकॅलेंजेलो के पीएटा के बारे में आपको जानना चाहिए !