आज आखिरी रविवार है जब हम राष्ट्रीय गैलरी, प्राग के संग्रह में से पेंटिंग प्रस्तुत कर रहे हैं। हम आशा करते हैं वे अभी तक आपको पसन्द आयी होंगी! :)
1890 के दशक के दूसरे अर्धांश में, एंटोनिन हुदेचेक ने प्राग स्थित ललित कला अकादमी में जूलियस मराक के भूदृश्य पेंटिंग स्टूडियो में विद्यार्थियों के साथ ग्रीष्म ऋतु में प्राग के निकट ओकोर गांव में प्लेन एयर पेंटिंग (स्टूडियो के बाहर भूदृश्य पेंट करने की विधि) का अभ्यास किया था। वहां एंटोनिन स्लाविचेक और ओटकर लेबेदा के सान्निध्य में उन्होंने कई कैनवास बनाये जो कि उन्नीसवीं एवं बीसवीं शताब्दी की महत्वपूर्ण कृतियाँ मानी जाती हैं, जिसमे सन्ध्या की चुप्पी भी शामिल है जिसमे हुदेचेक ने भूदृश्य एवं आकृति का सन्तुलित सम्बन्ध स्थापित किया है। एक युवा महिला की आकृति दर्शक को उसके साथ गर्मी की शाम के वातावरण एवं उदासी की भावना का आनंद लेने के लिये कैनवास के अंदर खींचती है।
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