द रु मोसनिएर विथ फ्लैग्स by Édouard Manet - १८७८ ई. - ८० x ६५.४ से.मी.  द रु मोसनिएर विथ फ्लैग्स by Édouard Manet - १८७८ ई. - ८० x ६५.४ से.मी.

द रु मोसनिएर विथ फ्लैग्स

ऑइल ऑन कॅनवास • ८० x ६५.४ से.मी.
  • Édouard Manet - 23 January 1832 - 30 April 1883 Édouard Manet १८७८ ई.

हाल ही में संपन्न हुए एक्स्पोसिशो युनिवेर्सेल्लो (तीसरा पेरिस विश्व मेला), जो लक्जरी और समृद्धि का उत्सव है उसे मनाने के लिए फ्रांसीसी सरकार ने ३० जून, १८७८ को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था। फेट दे ला पैक्स (शांति का उत्सव) नामक यह अवकाश १८७० - १८७१ के विनाशकारी फ्रेंको-प्रशिया युद्ध और उसके बाद होने वाले खूनी पेरिस विभाजन से फ्रांस की पुनः - जागृति को भी रेखांकित करती है। अपनी दूसरी मंजिल की खिड़की से, एडूअर्ड मैनेट ने उस छुट्टी की दोपहर में नई इमारतों की खिड़कियों से लहराते फ्रांसीसी झंडे के लाल, सफ़ेद और नीले रंगों के देशभक्तिपूर्ण सामंजस्य को अपने सबसे सटीक, स्टॉकटो ब्रशवर्क के साथ कैप्चर किया। शहरी सड़क इम्प्रेशनिस्ट और मॉडर्निस्ट चित्रकला का एक प्रमुख विषय था; कई कलाकारों ने न केवल औद्योगिक युग के परिवर्तन और विकास को दिखाने का लक्ष्य रखा बल्कि इससे समाज भी कैसे प्रभावित हुआ उसे भी दर्शाया। मैनेट की आँखों ने हेन्सम कैब में बैठे सुंदर यात्रियों और अग्रभाग में एक सीढ़ी ले जाते कार्यकर्ता, दोनों को देखा। बैसाखी पर कूबड़ा हुआ अपंग, जो शायद एक युद्ध के वयोवृद्ध या भिखारी है, एक नए ट्रेन ट्रैक के निर्माण से छोड़े गए मलबे से गुजरता है।

मुझे पता है कि यह दिसंबर है और हम एक गर्मियों वाली पेंटिंग पेश कर रहे हैं - लेकिन थोड़ी सी रोशनी और रंग किसी को भी चोट नहीं पहुंचाएगी ;) यहां कला में गर्मियो के आखिरी दिनों को दर्शाते चित्रों के इस सुंदर चयन को देखे और सुखदायक प्रभाव कि अनुभूति करे <3

 

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