सन १८७८ में, सार्जंट अपने मज़मूँ चित्रों के लिए अनोखे प्रतिवेशों की खोज में इटली के काप्री द्वीप पर पहुंचे। वहाँ बनायी उनकी बहुत सी रचनाओं में वहीं की निवासी रोसीना फेर्रारा की छवि है, जो अपने नीले-काले केश व जैतून रंगत के लिए सराही जाती थी। एक कापरिस्तानी में सार्जंट ने फेर्रारा को एक जैतून कुंज में चित्रित किया है, जहाँ उनकी बाँहें एक वृक्ष से लिपटी हुई हैं, उसकी विकृत आकृति का प्रतिबिम्ब बनें। इस विकृत मुद्रा और फेर्रारा की विशिष्ट मुखाकृति के पार्श्व परिप्रेक्ष्य के उपयोग से सार्जंट ने अपने मज़मूँ को काप्री के वन्य भूदृश्य के मौलिक भाग के रूप में प्रस्तुत किया है।
कितने याद आतें हैं गर्मी के दिन! चलिए गरम स्थलों की दिवास्वप्न यात्रा करें इन खूबसूरत चित्रों के संग <3