वार्षिक महिला इतिहास माह को सम्मानित करते हुए आज हम लाये हैं पोलैंड की प्रसिद्ध चित्रकार हैना हिर्स्च पौली के बनाये गए एक चित्र को | यह प्रस्तुति स्टॉकहोल्म के राष्ट्रीय संघ्रालय के सहयोग से संभव हो पाई है| आनंद लीजिये :)
आज भी हैना हिर्स्च पौली द्वारा चित्रित 'नाश्ते का समय' पर्यटकों के मन में एक तीव्र रत्यात्मक आनंद का भाव पैदा करने में सक्षम है| "हमे तहे दिल से आमंत्रित महसूस होता है, मानो जैसे वह की हमारा अपना नाश्ता हो | वह कुर्सिया हमारा इंतज़ार कर रही होती हैं और हमे दूर से ही उन टेढ़ी चायदानियो के भार का एहसास होता है |"
सुन्दर कलाकृतियों से सज्जित मेज़ एक ग्रहस्त एवं पारिवारिक जीवन की छवि दर्शाती है | इस चित्र में सच्चाई के उस कोने की झलक है, जहाँ एक साडी नाश्ते की मेज को बगीचे में रखा गया है |
यह एक खुली' हवा में किया गया एक प्रकाश ग्रस्त चित्र है जिसमे चित्र के मुख्य विषय को प्रतिबिम्बों से परिपूर्ण करते हुए चित्र को एक चमक प्रदान की गयी है | यह चित्र चित्रकला के दो अत्यंत विभिन्न घरानों का संगम है; जहाँ यह रैखिक परिप्रेक्ष्य की पुरातनपंथी परंपरा को भी झलकाता है उधर साथ ही प्रभाववादियो के प्रकाश के साथ रंगों को इस्तेमाल करने की नूतन प्रथा से भी प्रभावित दिखता है | हैना हिर्स्च पौली ने अपने साथ के स्वीडन के कई कलाकारों की तरह पेरिस से प्रशिक्षा हासिल करी एवं अपनी कला के प्रदर्शनी वहां के मशहूर पेरिस सैलून के दौरान की |
इस चित्र में प्रत्यक्ष जीवंत ब्रश के स्ट्रोक, प्रकाश का प्रयोग और रंगों की घनी परत को उस समय स्वीडन के कई आलोचकों की निंदा का सामना करना पड़ा. हैना की इस तकनीक को उनके द्वारा बेपरवाह करार दिया गया, यहाँ तक कि एक आलोचक ने यह दावा भी किया की उनके चित्र में रखे मेज़ के कपडे पर पड़ने वाली प्रकाश की धराये कलाकर के अपने ही चतरा पर अपने ब्रश साफ़ करना का नतीजा थी | १८८० के दशक के उत्तरार्थ में, "नाश्ते का समय" ने हैना हिर्स्च पौली की शुरुआती सफलता में काफी सहायता की | एक प्रसिद्द रंगकार के तौर पे , उन्होंने आगे जाकर अपने कौशल को अपनी कला के माध्यम से और भी विकसित किया |