एनी स्वीनर्टन इंग्लैंड की एक प्रतीकों, रूप और चेहरों की चित्रकार थीं। उन्होंने मैनचेस्टर स्कूल ऑफ़ ऑर्ट, अकादमी जूलियन और रोम में पढाई की। स्वीनर्टन जॉर्ज फ्रेडरिक वॉट्स और एडवर्ड बर्न-जोन्स से प्रभावित थीं। जॉन सिंगर सार्जेंट ने उनके कार्यों की प्रशंसा की और उन्हें १५४ वर्षों से अस्तित्व में रहने वाली रोयल अकादमी ऑफ़ ऑर्ट्स में १९२२ में पहली चुनी हुई महिला सदस्य बनने में सहायता की।
सत्रहवीं सदी के कलाकारों के लिए चेतना या समझ पसंदीदा विषयवस्तु थी जिसे ठीक ठाक शाब्दिक प्रस्तुति मिली थी। इसी परम्परा का पालन करते हुए स्वीनर्टन की परी, जो धरती पर अवतरित होती है, स्वर्ग ढूंढने के लिए अपनी आँखों पर निर्भर है। दृश्य की चेतना या दृष्य की समझ का विषय, एक परी जो कि दृश्य संसार के आश्चर्य से भावविभोर है, संभवत: एक चित्रकार के लिए दृश्य और दिखने वाली दुनिया की खुशियों का महत्व दर्शाती है। उसकी उत्साहपूर्ण भंगिमाएँ ना केवल देख सकने की क्षमता परन्तु एक आध्यात्मिक दृश्य और माँस और चेहरे के सजीव चित्र के आकृति की आध्यात्मिकता से अंतर भी दर्शाते हैं।
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