थियोडोर लियोपोल्ड वेलर (१८०२-१८८०) जर्मनी में प्रसिद्ध शैली के चित्रकार और मैनहेम दीर्घा के निदेशक थे। उन्होंने म्यूनिख में लोकप्रिय जीवन के कई चित्रों को चित्रित किया जिसने उन्हें म्यूनिख स्कूल का एक प्रमुख प्रतिनिधि बना दिया।
वेलर १८२५ और १८३३ के बीच इटली में रहे। जेल की यात्रा उनके जीवन के उस समय से प्रेरित है। यह एक इतालवी महिला की अपनी बेटी के साथ उसके कैद पति की यात्रा को दर्शाता है। वह महिला जो एक मॉडल के रूप में सेवा प्रदान करती थी, १९ वीं शताब्दी की शुरुआत में रोम में रहने वाले कई जर्मन चित्रकारों के लिए एक लोकप्रिय इतालवी मॉडल विटोरिया कैल्डोनी हो सकती है।
महिला ने प्रसिद्ध इतालवी पोशाक पहनी है जिसे कॉस्ट्यूम सियोसिआरो (पारंपरिक टोपी सहित) कहा जाता है, जिसे आमतौर पर निम्न-वर्ग के लोगों द्वारा पहना जाता है जो मुख्य रूप से किसान और किसान थे। अपनी ठोड़ी को हथेली पर रखकर, स्त्री अपने प्रेमी को सलाखों के पीछे देख कर उसकी निराशा व्यक्त करती है। बेटी इस बात से चिंतित प्रतीत होती है कि जब वह एक तरफ मुड़ती है, हालांकि, सम्भवतः इसलिए कि वह एक जेनदार्म को लबादा ओढ़े, युवक को आर्स्ट्रिया के एक पहरेदार, जेल के संरक्षक के पास ले जाते हुये सुन सकती है। जिस समय यह तस्वीर बनाई गई थी, उस समय इटली के बड़े हिस्से ऑस्ट्रियाई नियमों और वर्चस्व के अधीन थे। एक शैली दृश्य से अधिक, यह तस्वीर एक ऐतिहासिक तस्वीर के साथ-साथ जेल के सामाजिक आलोचनात्मक विचार भी है।
- टोनी गोपिल