आरम्भ में नगण्य प्रतिभा दिखाने के बावजूद जॉन कांस्टेबल (१७७६-१८३७) ने लंदन के रॉयल अकादमी में अध्य्यन किया जहाँ उन्होंने शास्त्रीय शैली के क्लोद और पॉसिन से और फ्लेमिश और डच कलाकार रुबेन और रुईसडेल से प्रभावित हो कर वृहद् परिदृश्य के चित्रकारी का विकास किया.
उनके आरंभिक कार्य टर्नर से भी प्रभावित थे; हालाँकि टर्नर के प्रकृति के नाटकीय और प्रचंड रूमानी प्रस्तुतीकरण के प्रति उनमे एक अरुचि पैदा हो गयी क्यूंकि उन्हें ये बहुत विचारमग्न लगता था. टर्नर ने जिन दृश्यों का वर्णन किया, खास कर के उत्तरी इंग्लॅण्ड के निर्जन लेक डिस्ट्रिक्ट का, वे कांस्टेबल को अजनबी और बेचैन करने वाले लगते थे. उन्हें वैसे स्थानों के चित्र बनाना ज्यादा सुकून देता था जहाँ असल में लोग रहते हैं और जहाँ उनके रहने से एक सरलता उत्पन्न होती थी. यक़ीनन परिदृश्यों का रोमनीकरण उस वक़्त ज्यादा चलन में था, लेकिन कांस्टेबल ने उसकी जगह ध्यान केंद्रित किया घरों के निकट पायी जाने वाली शांति पर, रोजमर्रा की आम जिंदगी पर और वहां जहाँ लोग प्रकृति के साथ तालमेल बना कर जी रहें हो.
कांस्टेबल तटस्थ थे की प्रकृति को स्वयं एक चित्र के सृजन के लिए प्रेरित करना चाहिए, उन्होंने विशेष ध्यान दिया प्रकृति में निरंतर परिवर्तित होते प्रकाश पर, मौसमों के दौरान गुजरते समय के असर पर, और प्राकृतिक दुनिया के निरंतर बदलाव की स्थिति पर, और कहा की " सृस्टि के सृजन से कोई दो दिन एक से नहीं हुए, न ही कोई दो घंटे, न ही किसी पेड़ के दो पत्ते एक जैसे हुए हैं." कांस्टेबल का तूलिका कौशल उनका प्रकृति के प्रति नजरिया दर्शाता है: यह अबाध और चपल है, जो ऐसा भाव प्रस्तुत करता है कि प्रकृति एक परिवर्तनशील सत्व है जिसे किसी एक परिभास्य क्षण में कैद कर पाना शायद संभव न हो. कांस्टेबल की आँखों में एक दृश्य का छाप एक सप्ताह बाद बिलकुल भिन्न होता.
कांस्टेबल सेलिस्बरी पहली बार १८११ में अपने निकट मित्र जो उस वक़्त सेलिस्बरी के बिशप थे, जॉन फिशर के पास रहने आये. इस चित्र से साफ़ है की कांस्टेबल को इंग्लैंड के इस क्षेत्र से प्रेम था. कैथेड्रल एक सुन्दर से चरागाही परिदृश्य में स्थित है जहाँ गर्मी के सूरज तले उँघती गाए चर रहीं हैं, पेड़ हरे भरे हैं. खुद कैथेड्रल वास्तुकला में अपने वृहद् दर्जे के बावजूद आमंत्रित करता है और यहाँ तक की कांस्टेबल को स्नेहशील लगता है. चित्र सुख और घनिष्ठता के वैसे भाव से परिपूर्ण है जैसा आनंद हम एक लम्बे अंतराल के बाद घर लौटने क बाद पाते हैं.
- सारा मिल्स
पि.एस. क्लोद मोने एक अन्य मशहूर कलाकार थे जो कैथेड्रल से मंत्रमुग्ध थे. उन्होंने रुअन कैथेड्रल के कई चित्र बनाए जिन्हे आप यहाँ देख सकते हैं.