नवंबर १९ तक संत पीटर्सबर्ग में स्थित रूसी राज्य संग्रहालय में आप रूसी कला में अभिव्यंजनावाद की प्रदर्शनी देखने जा सकते हैं। आज हम वहाँ प्रदर्शित एक सर्वोत्कृष्ट रचना पेश करते हैं।:) लुफ्त उठाएं!
२०वीं सदी के प्रारम्भ में, यूरोपी कला ने एक नया रुक लिया: अभिव्यंजनावाद, एक अभियान जो विभिन्न राष्ट्रीय कला विधालयों के अनुसार अलग-अलग प्रारूपों में व्यक्त हुआ। इस अभियान के एक मुख्य प्रस्तावक थे वसीली कैंडिंस्की, जिनका चित्र आशुरचना (१९१० में संपन्न) उनकी सबसे मशहूर रचनाओं में से है। पहली नज़र में यह सामान्य-शैली का चित्र मालूम होता है। पीले पल के नीचे एक नीली नाव आसानी से देखी जा सकती है; और नीचे खिवैयों के एक समूह को तट पर खड़ा सशस्त्र दस्ता गोलियों से छलनी कर रहा है। तथापि करीबी अवलोकन पर रंग और आकर का स्वेच्छित प्रयोग सामने आता है।
इस चित्र का अभिव्यंजनावादी स्वरुप लाल बादल और उस से गिरती बिजली में ज़ाहिर होता है, साथ ही अग्रभूमि के पीले झुके तोप व् नदी पर बने पुल में भी। चित्र के बाकी तत्वों को मात्र आभूषण के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जैसे कि नाव के पीछे का झाग या फिर दायी ओर की तलवार-पकड़ी बनावटी आकृतियां।
यह तस्वीर मानो उस क्षण की निशानी है जब कैंडिंस्की घटना के महत्व से मुक्त हो कर केवल स्वेच्छित रसात्मक आशुरचनाओं के आधार के रूप में उसका प्रयोग करते हैं। यह इस रचना के शीर्षक में भी लक्षित है। "वास्तविकता का एक मामूली या प्रखर अनुस्मारक दर्शक को एक गूँज-सा प्रतीत होता है, और यह हर भावनात्मक व्यक्ति के साथ होता है", कैंडिंस्की लिखते हैं। उदाहरण के लिए, वह पीले रंग के प्रभाव की तुलना तुरही के सुर से करते हैं, नीले की वायलनचेलो के संगीत से और सिंगरफ लाल की किसी ड्रम की आवाज़ से।
उपलेख - यहाँ आप कैंडिंस्की की रूसी काल्पनिक कथाओं की दुनिया की सैर कर सकते हैं!