गोगान की वाहिन नो ते वी ताहिती की अपनी पहली यात्रा के दौरान निर्मित किए गए 70 चित्रों में से सबसे पहली है।
1890 तक, गोगान ने ताहिती को अपने कलात्मक गंतव्य बनाने की परियोजना की कल्पना की थी। पेरिस में उनके चित्रों की सफल नीलामी और अनेक कार्यक्रम जैसे की बैंक्वेट और कॉन्सर्ट से उनको आवश्यक धनराशि मिली। कोपेनहेगन में अपनी पत्नी और बच्चों को एक आखरी बार मिलने के बाद, गोगान 1 अप्रैल, 1891 को ताहिती के लिए निकले, एक नई शुरुआत करने के और अमीर बनकर लौटने के वादे के साथ। उनका अभिप्राय यह था कि यूरोपीय संस्कृति और "वह सब कुछ जो कृत्रिम और पारंपरिक हैं" उससे मुक्त होना।
उन्होंने कॉलोनी की राजधानी पपीते में पहले तीन महीने बिताए जो पहले से ही फ्रांसीसी और यूरोपीय संस्कृति से काफी प्रभावित थी। फिर, उन्होंने पपीते से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर मटेया, पापेरी में अपना स्टूडियो स्थापित करने का फैसला किया, और खुद को देशी शैली के बांस की झोपड़ी में स्थापित किया। यहाँ उन्होंने ताहिती का चित्रण किया।
बाद में गोगान ने नोआ नोआ नाम का एक यात्रा वृत्तांत (पहली बार 1901 में प्रकाशित) लिखा, जिसमें उन्होंने उनके चित्रों पर टिप्पणी और ताहिती में अपने अनुभवों का वर्णन किया। पर आलोचकों का यह कहना है कि इस पुस्तक के कई भाग काल्पनिक और चोरी किए गए हैं।
अनुलेख- हमारे लेखक यहां पुच्छते है कि पॉल गोगान ने, जब 1890 के दशक में ताहिती का दौरा किया था, तब क्या वह स्वर्ग की खोज में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, या एक गंदे सेक्स पर्यटक?


वाहिन नो ते वी (आम पकड़े हुई महिला)
कैनवास पर तेल रंग • 193.5 x 103 सेमी