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प्रथम महिला कलाकार अक्सर बहुगुणी हुआ करती थीं। चित्रकारी के साथ-साथ वे कूटनीति में भी समर्थ होती। इनमें से बहुत कुलीन स्त्रियों की सहायक थीं और इस प्रकार से शाही और कुलीन परिवारों से दोस्ती कर, वह फिर उनके लिए चित्र बनातीं।
महिला कला की इस अवधारणा का वीओलांते बीयट्रिस सीरीज़ चेर्रोटी को लाभ मिला, और उन्हें गोंदी और साँसेदोनी परिवारों जैसे तोस्कानी व अन्य रईसों के बहुत से चित्र बनाने के लिए नियोजित किया गया। उस ज़माने में चित्र या तो धार्मिक या विज्ञापन रणनीति के कार्य होते थे। वह फ्रांस में रकोको उस्ताद रिगो और बूशे के साथ पढ़ीं थी, जिसके कारण उनके समकालीन कलाकारों और उनके पिता लुइस सीरीज़ की आँखों में उनकी विश्वसनीयता को बढ़ौतरी मिली। लुइस एक फ्रांसीसी नक़्क़ाश थे, जिन्होंने तोस्कानी ग्रैंड ड्यूक की उफित्ज़ि में अल्पमूल्य पत्थरों की कार्यशाला के निर्देशक के रूप में सजावटी पत्थर के काम को मशहूर किया था।
वीओलांते की सबसे प्रसिद्ध धार्मिक कृति थी कुँआरी मरियम शिशु यीशु को संत मारिया मैडलेना द' पाज़्ज़ि को प्रस्तुत करते हुए। वह संत मारिया मैडलेना द' पाज़्ज़ि गिरजाघर के सामग्री-गृह में देखी जा सकती है, जो फ़्लोरेन्स की विभिन्नदर्शनग्राही बोर्गो पिंटो गली में स्थित है। यह चित्र १७६७ में रचा गया था जब कलाकार ५८ वर्ष की थीं (१८वीं सदी के मानकों के मुताबिक वृद्ध)। फ़्लोरेन्स की मारिया मैडलेना द' पाज़्ज़ि, जिनका परिवार मेदीची के खिलाफ पाज़्ज़ि बगावत के लिया जाना जाता है, १७०० के शतक में संत घोषित करी गयी थीं। वह अपने आध्यात्मिक मातिब्रह्मों के लिए जानी जाती थी।