हम आज काज़ीमीर मालेविच की ये कृति सेंट पीटरस्बर्ग स्थित रूसी संग्रहालय के सौजन्य से प्रस्तुत कर रहे हैं जहाँ जनवरी १४, २०१९ तक, आप अप्रत्याशित मालेविच। ए. ए. लेपोरस्काया के पुरालेख से, रूसी संग्रहालय को प्रदत्त नामक प्रदर्शनी देख सकते हैं। आनंद लीजिये! :)
जैसे किसानों के उन चित्रों में जिसमे कलाकार अपने विचारों और भावनाओं को छुपा देता है, उसी तरह कृषक मज़दूरी एक विषयवस्तु के रूप में मालेविच की सम्पूर्ण कृतियों में झलकती है। जैसा कि उन्होंने स्वयं अपनी आत्मकथा में लिखा है: "मैं कृषकों के जीवन से मन्त्रमुग्ध था"। डूबते सूरज की विलुप्त होती किरणों के द्वारा रूपांतरित, प्रतिदिन के कृषक जीवन का यह दृश्य कलाकार की स्मृति में बचपन से ही अंतर्निहित हो गया था। यह मूलभाव उनकी कृतियों में लगातार दोहराया गया है और उनके सम्पूर्ण संकलन में एक मौलिक शिलालेख का निर्माण करता है। मालेविच ने रोज़मर्रा के मूलभावों में शाश्वत के पहलू देखे। चित्र की रचना काफी हद तक रूसी फ्रेस्को पेंटिंग की परंपरा से प्रभावित है।