आज का चित्र हम अपने सर्वप्रिय मौरिट्ज़हउस की बदौलत पेश करते हैं, जहाँ हाल ही में फ्लेमिश कलाकार डैनियल सेघर्स (१५९० - १६६१) का १६४४ में बनाया गया एक फूलों के चटुष्काष्ठ का चित्र हासिल हुआ है। कवि, कूटनीतिज्ञ और विद्वान, काँस्टनटिन हउगन्स (१५९६ - १६८७), मौरिट्ज़हउस के एक पूर्व पडोसी, की अर्ध-प्रतिमा इस रचना के मध्य में है। यह चित्र बहुत वर्षों से लापता था और हाल ही में एक निजी संकलन में पाया गया। निःशेष पुनर्स्थापन के बाद यह अब संग्रहालय में प्रदशि॔त है। यह एक आकांक्षित अभिग्रहण है - बहुत से कारणों से।
जेसुइट डैनियल सेघर्स ऐंटवर्प में फूल चित्रकार थे। उनकी विशेषता थी किसी धार्मिक दृश्य, संत या तस्वीर के इर्द-गिर्द फूलों के स्थिर वस्तुचित्र, जिन्हें फूलों के चटुष्काष्ठ कहा जाता है। तांबे के एक बृहद पत्तर पर अंकित यह नवीन अधिग्रहण सेघर्स के काम का बेहतरीन उदाहरण है। चटुष्काष्ठ के भीतर की छवियों के रचेता सेघर्स स्वयं नहीं थे। गृज़ाई विभिन्न फ्लेमिश चित्रकारों द्वारा निष्पादित है। एक समकालीन कविता के अनुसार काँस्टनटिन हउगन्स की अर्ध-प्रतिमा का चित्रण जैन कौसिअर्स (१६०० - १६७१) ने किया था, जो कि ऐंटवर्प के एक अन्य कलाकार थे। हम यह नहीं जानते की हउगन्स कौसिअर्स के लिए खड़े हुए थे या नहीं। उनका रुख़ विशिष्ट था और मुमकिन है कि यह तस्वीर प्रचलन में उनकी कई तस्वीर मुद्राओं पर आधारित हो। इसमें अपेक्षाकृत एक वृद्ध हउगन्स दिखते हैं, उनकी हनु की दाढ़ी, उभरी आँखों, और पिथ पर लिखे आदर्श वाक्य - कॉन्स्टन्टर (दृढ़) से परिलक्षित।
अलविदा और अब आप से कल मुलाकात होगी!
उपलेख - मौरिट्ज़हउस के संकलन में सच्चे खज़ाने पाए जा सकते हैं, जैसे कि जोहानेस वरमीयर का प्रसिद्ध डैल्फ्ट का नज़ारा। इसके बारे में यहाँ पढ़ें।