सन 1891 और 1893 के बीच, लैंडस्केप पेंटिंग के अलावा, व्लादिस्लाव पोडकाविंस्की की रूचि नग्न अवस्था का अध्ययन करने में थी , उन सभी में से एक जो विशेष्तः अनोखा है , वो है एक जवान लड़की का जो घाटी के लिल्ली के फूलों को अपने चेहरे के पास रखे है। इस मुद्रा में लड़की का चित्र है वह परांपरागत नग्न शैक्षिक विधा का स्मृति चिन्ह है जहाँ चित्रण के बहुत ही साधारण तरीकों का उपयोग किया गया है पर साथ ही साथ यह चित्र अकादमियों द्वारा निर्धारित तरीकों से भिन्न भी है। चित्रकार ने इस स्त्री के शरीर को रंगों और प्रकाश के परस्पर मेल से रंगा है। इस चित्र की तासीर रंगों में भिन्नता व् परस्पर उनके मिश्रण के समरस पर आधारित है, जहाँ हरा रंग का असर बहुत ही प्रभुत्व है, सफेद रंग के साथ नीले , पीले व् भूरे रंग का ऐसा मेल है जो इम्प्रेशनिज़्म के अनुभवों को ताज़ा करता है। अपनी नवीनता के अलावा, "घाटी के लिल्ली " ने कला समीक्षकों व् आम जनता से भी मान्यता प्राप्त की, जिस से ये कहना भी सही होगा के ये चित्र उस वक़्त के बहु चर्चित , व्यवहारिक अंदाज़ का आह्वाहन करने की मंशा से बनाया गया था। इस चित्र के परम्परिक अंदाज़ में ही नज़ारे की साधारणता झलकती है व् चित्र में दर्शित युवा स्त्री एक आदर्श ख़ूबसूरती की मिसाल को भी जिवंत करती है। इसका साहित्यिक व् मूल शीर्षक इस कृति में निहीत कामुक चरित्र से दर्शक का ध्यान हटाता है। ये कामुक न्युड पेंटिंग , "एक्सटेसी" (Ecstasy) चित्र से बेहतर ढंग से स्वीकारी गयी थी।
ये चित्र "National Museum in Krakow" के संघ्रह में शामिल है। National Museum in krakow की वेबसाइट का लिंक यहाँ है
पश्च लेख (P.S ): व्लादिस्लाव सलेविंस्की की एक औरखूबसूरत कृति " बाल सवांरती हुई महिला " , म्यूजियम के संघ्रह में से देखने के लिए यहाँ पर क्लिक करें
दोस्तों , हमने डेली आर्ट का तुर्की संस्करण भी प्रमोचन करने का फैसला किया है , परन्तु हमें तर्जुमा करने के लिए आपकी मदद चाहिए - अगर आप वालंटियर करना चाहते हैं तो मुझे इस लिंक पर संपर्क करें here