वर्ष 1893-95 की अवधि में एडवर्ड मुंच ने इस विषय पर कईं रूपांतर बनाए। चित्र का वैकल्पिक शीर्षक है प्रेम और पीड़ा , लेकिन मुंच के मित्र और समीक्षक स्टैनिसलाव प्रेज़िबिसवस्की ने चित्र का पहला शीर्षक वैम्पायर दिया था l एक प्रदर्शनी मे लगे इस चित्र को देखकर, प्रेज़िबिसवस्की के अनुसार " एक मनुष्य है जो कमज़ोर हो चूका है" और जिसकी गर्दन पर "वैम्पायर (पिशाच) का चुभता हुआ मुँह है" l "
चित्र के तीन रूपांतर ओस्लो शहर के मुंच संग्रहालय में है, एक निजी संग्राहक के पास है, तीसरा गोथेनबर्ग संग्रहालय में है और आख़िरी रूपांतर गुम हो चूका है। मुंच ने अपने जीवनकाल के अंत में इस चित्र के कईं और रूपांतर और व्युत्पन्न भी चित्रित किये।
आज हम जिस शिलामुद्रण को प्रस्तुत कर रहें हैं उसमे एक लाल बालों वाली युवती को दर्शया गया है l युवक और युवती दोनों एक दूसरे के आलिंगन में हैं और युवती युवक की गर्दन चूम रही है। हालाँकि दर्शकों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है जैसे "युवक पिशाच के आलिंगन में कैद है- और युवती के अग्नि-स्वरुप बाल युवक कि नरम कोरी त्वचा पर फैले हुऐ हैं l " मुंच स्वयं यह दवा करते थें कि यह चित्र केवल "एक युवती को दर्शाता है जो युवक की गर्दन को चूम रही है l "
परन्तु यह आप पर निर्भर करता है कि आप चित्र में क्या देखना चाहते हैं l वैलेंटाइन्स दिन कि बहुत शुभकामनाएं ! उड़ने वाले जोड़े बेल्ला और मार्क शगाल के बारे में और पढ़िए l