हम जारी रखते हैं हमारे विशेष महीने को स्टेट रुस्सियन संग्रहालय से । हम इस महीने के हर रविवार को इस संकलन से कुछ चित्र प्रस्तुत करेंगे। आप आनंद लीजिए। :)
वैलेन्टिन सेरोव सिर्फ कुछ ४५ साल ही जीवित रहे , पर इन ३ रचनात्मकता से भरे दशकों में उन्होंने जितनी कामयाबी हासिल की , जितनी अपनी प्रतिभा को विकसित कर सके, वे कई दशकों के लिए काफी था। यह कलाकार सतत खोज करते रहे। खुद से असंतुष्ट होकर उन्होंने पुराने तरीके छोड़ नए तरीको को स्थापित किया , वे निरंतर आगे बढ़ते रहे और किसी भी क्षण एक जगह पर नहीं ठहरे। किस्मत से वे ऐसे कलाकार थे जिन्होंने असल रूप से पुरानी कला को नयी कला में परिवर्तित किया। सेरोव पुरानी कला ही असली क्लासिक के होने का अंतिम उदाहरण बने, अपने गुरुओ, जैसे की द ग्रेट आई. रेपिन, की कलाओ के वारिस बने। उसी समय में वे एक नयी सदी के कलाकार भी थे ,वे एक उस्ताद थे जिन्होंने एक विस्तृत दृष्टिकोण को दिखाने की कोशिश की।
पोर्ट्रेट ऑफ़ इडा रूबिनस्टीन (१९१०) उनके नए अंदाज़ के सम्मेलनों को मेल खाती है। यह प्रसिद्ध बैले नृत्यकत्री सेरोव के लिए एक निर्वस्त्र भंगिमा बानी। इसी कारण,अनुगृहित होकर, अपने चित्र में असली मॉडल का इस्तेमाल न करना ही उन्हें ठीक लगा। सेरोव ने ऑय. रूबिनस्टीन को नहीं दर्शाया, बल्कि उन्ही को इस्तमाल करके एक धारणा बनाई जो उनकी चित्र का स्त्रोत बनी। उसी समय वे गढ़ता एवं वास्तविक्ता में एक संयोजन खोज रहे थे जो की आधुनिकता की विशेषता थी। आकृति के समोच्च की घुमावदार रेखाएं सीधे कैनवास पर स्थित होती हैं। रंग पैलेट में केवल तीन रंग हैं: नीला, हरा और हल्का भूरा। उनमें से प्रत्येक पृथक है। कोई रंग, कोई रचना, कोई परिप्रेक्ष्य नहीं - कुछ भी उस स्थान को प्रकट नहीं करता है जिसमें मॉडल को रखा गया है। ऐसा लगता है कि यह चपटा है, कैनवास के खिलाफ दबाया गया है, और मॉडल के सभी तीखेपन और अपव्यय के साथ, यह उसकी कमजोरी और रक्षाहीनता की छाप पैदा करता है।
अनुलेख : 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उभयलिंगी होने के साथ इडा रूबिनस्टीन और रोमाइन ब्रूक्स और उनके संघर्ष की एक कहानी पढ़ें।