41 की उम्र में , हेनरी रूसो ने कस्टम अधिकारी का काम छोड़ा क्यूंकि वे अब अपनेआप को पेंटिंग के प्रति पूर्णतः समर्पित कर देना चाहते थे। वे स्वः शिक्षित कलाकार थे , उन्होंने एक निराला अंदाज़ ईजाद किया जहाँ वे परिपेक्ष्य को तोड़ मरोड़ कर व् काफी अस्वाभाविक अनुपात में रंगते थे। रस्ते पर सैर करते छोटी छोटी इंसानी आकृति और उसके समानांतर समरूप पेड़ों की पंक्ति , अनुभवहीन तरीके से हर चीज़ चाहे वह चित्र के अग्रभाग में हो या पृष्टभूमि में हो सभी समरूप तरीके से चित्र में अपने स्थान में चित्रित है। रूसो अतियथार्थवाद के अग्रगामी माने जाते है क्यूंकि उनकी कृतियों में ख्वाबों की दुनिया का यथार्थ में विलीन हो जाना दर्शाता है।
आज के इस चित्र के लिए हम शुक्रगुज़ार हैं स्टाडेल म्यूजियम का। उनका संग्रह बेहद नायाब है , इसे देखना मत भूलें।
पाश्चलेख (P.S ) हेनरी रूसो द्वारा कृत जंगलों को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।