अशोक का सिंह स्तम्भ by Unknown Artist - 250 ई.पू. - 210 x 283 cm अशोक का सिंह स्तम्भ by Unknown Artist - 250 ई.पू. - 210 x 283 cm

अशोक का सिंह स्तम्भ

परिष्कृत बलुआ पत्थर का खंभा • 210 x 283 cm
  • Unknown Artist Unknown Artist 250 ई.पू.

अशोक भारत के मौर्य वंश के तीसरे शासक थे। अपने शासनकाल के पहले आठ वर्षों तक वह एक भयावह तानाशाह थे जिनके कारण उन्हें चंडशोका या निर्मम अशोक के नाम से भी जाना जाता है। 261 ईसा पूर्व में, अशोक ने पड़ोसी राज्य कलिंग पर आक्रमण किया। भले ही उन्होंने वह लड़ाई जीत ली थी, लेकिन 300,000 लोग मारे गए थे। खून-खराबे के दोष और पछतावे में अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और स्वयं को धर्म के प्रचार में समर्पित कर दिया l उन्होंने कई बौद्ध स्मारकों को प्रमाणित किया।

भारतीय उपमहाद्वीप में पत्थर की मूर्तियों के सबसे पहले ज्ञात अवशेष जैसे अशोक स्तंभ, बौद्ध तीर्थस्थानो पर पाए जाते हैं l आमतौर पर अशोक स्तंभ पर एक और जानवर और अशोक के अध्यादेश के शिलालेख पाए जाते हैं। अशोक स्तम्भ विदेशी प्रभाव को दर्शाता है। प्राचीन यूनान में स्फिंक्स समान स्तंभ आम थे। इसके अलावा, लोटिफॉर्म के खंभे (कमल के आकार का) पर जानवरों को रखना भी पहले फारसी साम्राज्य के अचमेनिद स्तंभों की याद दिलाता है।

अशोक के सिंह स्तम्भ को पीले बलुआ पत्थर के एक खंड से तराशा गया है l प्रत्येक शेर के नीचे एक चक्र या पहिये के साथ एक गोलाकार आधार पर चार शेरों को बैठाया गया है। शेर बुद्ध के प्रतीक है। चक्रों के आगे एक और शेर, एक हाथी, एक बैल और एक घोड़ा है, जो क्रमशः उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशाओं के प्रतीक हैं।

हालांकि, अशोक के कई स्तंभ अभी भी मौजूद हैं, अशोक का सिंह स्तम्भ सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि १९५० से भारत ने इसे राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया था। - माया टोला

अनुलेख. यदि आप कला में शेरों के चित्रण के प्रशंसक हैं, तो यहाँ पर रोजा बोन्हुर के शानदार शेरों और चित्रों को देखें।