बाल्टिक सागर पर मछली पकड़ने की नौका  by Caspar David Friedrich - सं १८३० - १८३५  - २२ x ३१.२ सेम  बाल्टिक सागर पर मछली पकड़ने की नौका  by Caspar David Friedrich - सं १८३० - १८३५  - २२ x ३१.२ सेम

बाल्टिक सागर पर मछली पकड़ने की नौका

कैनवास पर तैलिये • २२ x ३१.२ सेम
  • Caspar David Friedrich - 5 September 1774 - 7 May 1840 Caspar David Friedrich सं १८३० - १८३५

१७७४ में आज के दिन कास्पर डेविड फ्रैड्रिक का जन्म हुआ था जो एक रोमांटिक भूदृश्य के जर्मन चित्रकार थे जिन्हे अपने मध्यावधि के व्यंजनापूर्ण दृश्यों के लिए जाना जाता है. उनकी मुख्य रूचि प्रकृति चिंतन थी, और उनकी कृतियां, जो अक्सर प्रतीकात्मक और शस्त्रविरोधी होती, प्राकृतिक जगत के प्रति एक आत्मपरक और भावपूर्ण प्रतिक्रिया जाहिर करती.

यह चित्र कई मछुआरों के साथ बाल्टिक तट से दूर जाती एक नाव का  है. यह अज्ञात स्थान शायद रूगेन के निकट पोमेरानिया का हैं क्यूंकी इसका फ्रैड्रिक के कई दृश्यों में उपयोग किया गया है, हालाँकि यह चित्रकार के किसी भी प्रकृति के रेखाचित्र से मेल नहीं खाती. सांझ के इस दृश्य में लोगों का एक समूह दर्शकों के तरफ पीठ कर तट छोड़ती नाव को देख रहे हैं, लेकिन नाविकों से नजर मिलाये बिना. पारम्परिक जर्मन वेश-भूषा में इन लोगों की उपस्थिति को समझना आसान नहीं है, और यह इस सागर के दृश्य को एक गूढ़ स्वरुप देता है. नौका के प्रति उनका रुझान और समीपता ये संकेत करता है की उनहोने मछुआरों की कुछ सहायता की हो, संभवतः उन्होंने नौका को पथरीले तट से मुक्त करने में मदद की हो. इस कलाकृति को, फ्रैड्रिक द्वारा बर्लिन में १७९९ में बनाए गए चित्र, तट पर विदाई (कुंष्ठले मैंनहैम) जो सामान नाव और वैसी ही आकृतियों को दर्शाती है,से तुलना करें तो हम पाते हैं की यह वाकई एक विदाई का दृश्य है. फ्रैड्रिक का मूल भाव दो लोगों के समूह का अलग होना है- एक जो यात्रा को रावण हो रहें ऐन और वो जो तट पर रह गए हैं, और प्रकृति में दोनों का स्थान. इस समुद्र के दृश्य का व्यंजनापूर्ण अभिप्राय विदाई की स्थिति में दोनों पक्षों की विषमता है.

कल मिलते हैं!

 

पि.एस. यहाँ  है फ्रैड्रिक के दस सबसे मशहूर कलाकृतियों का संकलन. :)