मैसूर के सुल्तान टीपू साहिब के दो बेटे, जनरल कॉर्निवालिस को बंधकों के रूप में सौंपे जा रहे by Robert Smirke - 1792 - 451 x 356 सेमी मैसूर के सुल्तान टीपू साहिब के दो बेटे, जनरल कॉर्निवालिस को बंधकों के रूप में सौंपे जा रहे by Robert Smirke - 1792 - 451 x 356 सेमी

मैसूर के सुल्तान टीपू साहिब के दो बेटे, जनरल कॉर्निवालिस को बंधकों के रूप में सौंपे जा रहे

कैनवास पर तेल रंग • 451 x 356 सेमी
  • Robert Smirke - 1 October 1780 - 18 April 1867 Robert Smirke 1792

हैदर अली और उनके उत्तराधिकारी, टीपू सुल्तान (टीपू साहिब) का शासनकाल, मैसूर में बड़े राजनीतिक अशांति का समय था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय उपमहाद्वीप में एक मुकाम हासिल कर रही थी। मैसूर के पड़ोसी राज्यों और राज्य के भीतर विद्रोह के साथ लगातार झड़पें भी हुईं। टीपू ने नेपोलियन के साथ एक गठबंधन बनाया और मैसूर की राजनीतिक शक्ति को मजबूत करने और अपने शस्त्रागार को बढ़ावा देने के लिए ओटोमन साम्राज्य के राजदूतों को भेजा। 1790 में, दो असफल सैन्य अभियानों के बाद, त्रावणकोर के एक ब्रिटिश-नेतृत्व वाले गठबंधन, मराठा और हैदराबाद के निज़ाम ने अंततः तीसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान का पराभाव हुआ।

लॉर्ड जनरल कॉर्नवॉलिस ने संबद्ध बलों के बीच अधिग्रहित मैसोरियन क्षेत्रों के विभाजन की व्यवस्था के लिए बातचीत की। कब्ज़ा किए हुए क्षेत्रों की वजह से मैसूर के समुद्र तट को छीन लिया था। मैसूर को युद्ध के लिए दंड भी देने के लिए बाध्य किया गया था। युद्ध विराम की शर्तों के निष्पादन की गारंटी के लिए, कॉर्नवॉलिस को टीपू के दो बेटों के बंधक के रूप में आत्मसमर्पण की आवश्यकता थी। 23 फरवरी 1792 को, दोनों युवा बेटे औपचारिक रूप से कॉर्निवालिस को सौंपे गए थे, और दोनों पक्षों द्वारा शानदार समारोह और बंदूक की सलामी दी गई थी। इस समारोह को उस समय के कई कलाकारों द्वारा चित्रित किया गया था।

यह प्रतिपादन रॉबर्ट स्मर्क द्वारा बनाया गया था। स्मर्क एक अंग्रेजी चित्रकार थे, जिनकी विशिष्टा छोटे चित्र की थी। उन्होंने इसी तरह के बाइबिल, साहित्यिक और ऐतिहासिक दृश्योंसे खुद को प्रतिष्ठित किया।

- माया टोला

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