दांते अलीघीरी की डिवाइन कॉमेडी के लिए बनाये चित्र विलियम ब्लेक की कला का "उत्तम चरम बिंदु हैं "l 14 वीं शताब्दी के शुरुआत में लिखा यह महाकाव्य दांते कि काल्पनिक तीर्थयात्रा कि कहानी हैं जिसमे वह नर्क और यातना से जन्नत कि ओर जातें हैं l अपने आखिरी संरक्षक, जॉन लिन्नेल्ल के कहने पर चित्रित डिवाइन कॉमेडी में ब्लेक ने 1824 से अपनी मृत्यु (1827) तक 102 चित्र बनाए l इनमें रेखाचित्र और जलीय-रंगों से बने चित्र हैं l केवल सात चित्रों को लिन्नेल्ल के प्रस्तावित प्रकाशन के लिए उत्कीर्ण किया गया था l ब्लेक ने चित्र बनाने के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत ब्रह्मविद्या के अनुसार दांते की कैथोलिक मोक्ष व्याख्या की भी आलोचना कि, "जहाँ दांते को शैतान दिखतें हैं, वँहा मुझे नहीं- मुझे केवल अच्छाई," खूबसूरत रंगों से बना यह चित्र कहानी के आरम्भ को दर्शाता हैं l दांते घने जंगल में खूंखार जानवरों से भाग रहें हैं जो पाप का प्रतीक हैं l यहाँ रोम के कवी वर्जिल उनका नर्क और यातना के चक्रव्यूह में उनका मार्गदर्शन करते हैं l
अनुलेख. यहाँ देखें किस प्रकार ब्लेक ने बाइबिल के लिए चित्र बनाए थे (जो बहुत धार्मिक भी नहीं थे!) l