Prayer Niche (Mihrab) by Unknown Artist - 1600s - 290.7 x 245.3 cm Prayer Niche (Mihrab) by Unknown Artist - 1600s - 290.7 x 245.3 cm

Prayer Niche (Mihrab)

Ceramic mosaic • 290.7 x 245.3 cm
  • Unknown Artist Unknown Artist 1600s

हम अपना खास महीना क्लीवलैंड म्यूजियम ऑफ़ आर्ट्स के साथ जारी रखते है :) आनंद ले !

मस्जिद के अंदर प्रार्थना स्थल (अरबी में मेहराब) मुख्य केंद्र होता है I यह क़िब्ला दीवार में मेक्का जो मुस्लिमों का पवित्र शहर है उसकी तरफ रहता है I यह मेहराब एक अद्भुत उदाहरण है रचनI के कई बिंदुओं कैलीग्राफी , पौधे और ज्यामिती का सुन्दर मिलन I क्रमबद्ध रंग और आकIर इसकी सफलता का कारण है I प्रमुख श्वेत आभा क़ुरान की सबसे महत्वपूर्ण आयत को थुलुथ लिपि में प्रकट करती है जिससे इस ताखे का फ्रेम बना है I सफ़ेद चमक ज्यामितीय आकारों और अरबी बेलों के चIरों ओर भी है I कम प्रबल फ़िरोज़ा अप्रधान आकार के लिए प्रयुक्त हुआ है जैसे घूमओदार बेल कलिग्रफि के पीछे I घुमी और सिधी रेखाएं एक साथ सरसो के पीले और बैंगनी में गहरे नीले सतह पर और उभर कर आया  है I सिरेमिक मोज़ेक टाइल्स तकनीक से टाइल्स के अलग टुकड़ों को जोड़ कर आकार दिया गया है I छेनी से एक रंग के टाइल्स के टुकड़ों को फाइल से चिकना किया गया है I उन टुकड़ों को डिज़ाइन के आधार पर बैठाया गया है और प्लास्टर से ढका गया है I चूँकि रंगीन सिरेमिक मोज़ेक से कई पुरानी ईरानी इमारते सजी है आधुनिक  कारीगर इस कारीगरी और रख रखाव में माहिर हैं I इस मेहराब की शैली और आकIर १५०० में विकसित हुई और वर्तमान में भी जारी है I 

मेहराब पर की गयी कैलीग्राफी क़ुरान के नूर का अध्याय  (२४:३५) से ली गयी : " खुदा जन्नत और जहाँ का नूर है । उसकी रौशनी एक ताख जैसी है जिसमे एक दीया है- वह दीया शीशे में रखा गया है- शीशा एक चमकता तारा है । एक आशीर्वाद प्राप्त पेड़ से इसे जलाया गया है, न पूरब का न पश्चिम का जैतून के तेल से, आग ने इसे छुआ तक नहीं । यह नूर पर नूर है । भगवान उसका मार्गदर्शन करता है जिसे वो इस अलोक के लिए चुनता है और भगवान इंसान के सीख वाली कहानिया बनIता है क्यूंकि भगवान जIनता है । 

पि. इस. : यहाँ जाने इस्लामिक कला के मेहराब के बारे में !