मौसी गौट्टलीब एक पेट्रोलियम रिफाइनरी के मालिक के धनी परिवार के पुत्र थे। अपने गृहनगर में पढ़ाई के बाद, गौट्टलीब ने वियेना में अध्ययन किया। वहां पर वह यान माटेयको की कृतियां के संपर्क में आए, जिससे उनमें अपनी पोलिश पहचान की प्रबल भावना जागी। परिणामस्वरूप उन्होंने क्राकोफ में अपनी शिक्षा जारी करने का निर्णय लिया। लेकिन वहां सहकर्मियों की यहूदी -विरोधी भावनाओं के कारण वह जल्दी ही ऑस्ट्रिया की राजधानी को वापस लौट आए। माटेयको के अनुरोध पर, कि गौट्टलीब उनके स्कूल में शामिल हों, गौट्टलीब फिर क्राकोफ आ गये। कुछ ही समय बाद ही, एक दर्द भरे हृदय विदारण के कारण, उन्होंने चित्रकला करनी छोड़ दी। एक कठिन गले की बीमारी, और एक असफल ऑपरेशन के कारण मौरीसी गौट्टलीब की असमय मृत्यु हो गई।
गौट्टलीब की कला चाहे शास्त्रीयता से चिन्हित है, लेकिन फिर भी उन्हें 19वीं सदी की पोलिश पेंटिंग की रोमांटिक परंपरा को आगे बढ़ाए रखने का उत्तराधिकारी माना गया है और उन्हें बहुत प्रशंसा मिली है। वह स्पष्ट रूप से अपनी एक औपचारिक भाषा ढूंढ रहे थे, अकसर यहूदी विषयों (न केवल बाईबल) का उल्लेख करते थे, जो पोलिश चित्रकला में दुर्लभ था।
यह स्व चित्र मौरीसी गौट्टलीब की एक कैमरे द्वारा खींची गई फोटोग्राफिक पोरर्टेट चित्र पर आधारित है। 1877 में वियेना कुन्सटलरहौस में गौट्टलीब एक बॉल (पार्टी) में अरबी पोशाक पहन कर शामिल हुए थे। इस पोशाक में उनकी यह तस्वीर खींची गई, और फिर यह तस्वीर ही पेंटिंग बनाने की प्रेरणा बनी। अरबी पोशाक में यह चित्र उस समय के लोगों का ओरिएंट के प्रति विशिष्ट आर्कषण को दर्शाता है।
मौरीसी गौट्टलीब की कृतियों को Delet portal पर देखा जा सकता है।