१८वीं शताब्दी में सुदूर पूर्व की चीनी मिट्टी की कलाकृतियाँ विलासिता व समृद्धि का प्रतीक थीं। क्यूँकि चीनी पध्दति का यूरोप के कलाकारों को ज्ञान नहीं था, यूरोप के शाही दरबारों में इन कलाकृतियों को अर्जित करने की प्रतिस्पर्धा सी थी और इन्हें दुनियाभर से आयात किया जाता था।यूरोप में पहली बार सैक्सॉनी के मेस्सें शहर में चीनी मिट्टी बनाने का तरीक़ा खोजा गया और १७१० से चीनी मिट्टी के समान का उत्पादन शुरू हो गया।फ़्राँस्वा जौललेन और ज़ाक कैलोट जैसे कई कलाकार मेस्सें में चीनी मिट्टी की प्रतिमाएँ बनाने लगे।
कोलमबायन और पैन्टालून कोमेडिया डेल ऑर्टे नामक इतालवी हास्य रंगमंच के किरदार हैं।इस नाट्य-शैली में हर किरदार एक भाव रस दर्शाता है।कोलमबायन ठिठोलिया सेवक है और पैन्टालून एक कंजूस और ऐयाश किरदार है। यहाँ दोनो के बीच छेड़छाड़ और हास-परिहास चल रहा है जो कि इन पात्रों के चरित्र को दर्शाता है।
नाट्य जगत के पात्र १८वीं सदी के मूर्तिकारों के लिए प्रेरणा के प्रचलित स्त्रोत थे। इस प्रतिमा में कोलमबायन मुखौटा पहनकर पैन्टालून की दाढ़ी सहला रहा है। इस दृश्य को दर्शाती कई मूर्तियाँ यूरोप के संग्रहालयों में पायी जाती हैं। कोलमबायन के वस्त्र १७५० में सैक्सॉनी में प्रचलित फ़ैशन का प्रतीक हैं। ये रचना १८वीं शताब्दी की अनुभवों और अभिरुचियों को दर्शाती है।
- कोरालिन मेरिक
पुनश्च : यहाँ देखें मिट्टी के दरियाई घोड़ों का एक अनूठा संग्रह। ये चीनी मिट्टी के नहीं बने पर डेलीआर्ट में सबके पसंदीदा हैं।