एमिल फ़्रिएंट ने अपना कलात्मक कार्यकाल बहुत ही छोटी आयु में शुरू किया था एवं उन्हें प्रसिद्धि मिली अपने प्रकृतिवाद के रूप की वजह से जो आगे चलकर अव्यक्त प्रतीकवाद के रूप में प्रकट हुआ। उनके लिए ये कहा गया था कि फ़्रिएंट "के पास जितनी काबिलियत है कम से कम उससे अधिक गंभीरता है एक प्रमुख कलाकार बनने की और हमे विश्वास है की वे कला के प्रति ईमानदार रहेंगे खासकर एक ऐसे समय में जब धनी निर्माताओं ने कला के मंदिर में घुसपैठ कर दी है जिससे युवाओं के सामने त्वरित धनलाभ एवं सतही अध्ययन का एक घातक उदाहरण प्रस्तुत हो रहा है " (L’École de Nancy : Peinture et Art Nouveau, ex. cat., Paris : Éditions de la Réunion des Musées Nationaux, १९९९ की पृष्ठ संख्या १३० से उद्धृत)। जनता द्वारा फ़्रिएंट को प्रभावशाली स्वीकृति मिली परन्तु निरंतर मिलती प्रशंसा के बावजूद वे सलॉन सिस्टम के बाहर अपनी कृतियों का प्रचार करते हुए अभिव्यक्ति के नित नए तरीके एवं माध्यमों के भिन्न उपयोग तलाशते रहे।
फ़्रिएंट के मोटिफ उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में अधिकाधिक सारग्राही होते चले गए। छोटी नौका एक युवा जोड़े का आदर्शवादी दृश्य है जो कि पालों में स्वप्न सी नज़ाकत के साथ चट्टानों के नीचे नौकायन कर रहे हैं। जोड़े ने चटक सफेद कपड़े पहने हैं एवं रोचक रूप से महिला टिलर पर है एवं आदमी उसकी जांघ पर टिका हुआ है।