पुनरुत्थान by Piero della Francesca - १४६५  - ८९ इंच × ७९ इंच पुनरुत्थान by Piero della Francesca - १४६५  - ८९ इंच × ७९ इंच

पुनरुत्थान

फ्रेस्को • ८९ इंच × ७९ इंच
  • Piero della Francesca - c. 1415 - October 12, 1492 Piero della Francesca १४६५

इतालवी पुनर्जागरण के महारथी पिएरो डेला फ्रांचेस्का को इस फ्रेस्को को साँसेपोल्क्रो स्थित गॉथिक शैली के सार्वजानिक मिलन हॉल रेसिडेन्ज़ा में पेंट करने के लिए अधिकृत किया गया था, जिसका प्रयोग केवल प्रमुख न्यायाधीश एवं अध्यक्ष करते थे जिन्हे कन्सर्वेटरी कहा जाता था, वे अपना परिषद् शुरू करने से पहले इस चित्र के सामने प्रार्थना करते थे। प्रवेशद्वार के समक्ष अंदरूनी दीवार के ऊपर ऊंचाई में स्थित इस  फ्रेस्को का विषय शहर के नाम की तरफ इशारा करता है (Holy Sepulcher, जिसका अर्थ है पवित्र कब्र जहाँ ईसा को दफनाया गया था), जो कि नौवीं शताब्दी में दो श्रद्धालुओं द्वारा उठाये गए पवित्र कब्र के दो स्मृतिचिन्हों कि मौजूदगी से उद्धृत किया गया है।

येशु रचना के केंद्र में हैं, उन्हें उनके पुनरुत्थान के क्षण में दिखाया गया है, जैसा कि उनके मकबरे की मुंडेर पर रखे उनके पैर की मुद्रा से पता चलता है, जिसे पिएरो ने शास्त्रीय ताबूत की तरह रूपांतरित किया है। अंग्रेज़ कला इतिहासकार एंड्र्यू ग्रैहम-डिक्सन ने टिपण्णी की है की ज़ख्म के अलावा, मसीह का "शरीर उतनी ही महीनता से तराशा हुआ और उतना ही दागमुक्त है जितना किसी प्राचीन पुतले का होता है। परन्तु उनके चित्रण में गहन मानवता की छाप भी है: उनका अनादर्श, लगभग अपरिष्कृत मुखाकृति वाला  चेहरा; और उनके पेट पर झुर्रिओं जैसी त्वचा की वो तीन परतें जो कि उनके बायाँ पैर उठाते ही उनके पेट पर सिलवट बन जाती है पिएरो उनके दोहरे स्वरुप पर बल देते हैं, जो कि मानव भी है और भगवान भी।"

परम्परानुसार एवं वसारी के चित्रकारों का जीवन का चित्रण करने वाले वुडकट के साथ तुलना करने पर पता चलता है कि मसीह के दाएं में भूरे बख्तर में सोया हुआ सिपाही असल में पिएरो का ही स्वचित्र है। सिपाही के सर एवं मसीह द्वारा उठायी हुई पताका के डंडे का संपर्क उसके दैवत्व के साथ सम्बन्ध को दर्शाता है।

यह फ्रेस्को द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग नष्ट हो गया था। ये सिर्फ इसीलिए बच पाया क्यूकि टोनी क्लार्क नामक एक अंग्रेज़ तोपची अफसर ने आदेशों का पालन नहीं किया एवं अपनी टुकड़ी की बंदूकों को कसबे को तबाह करने से रोके रखा। क्लार्क ने कभी उस फ्रेस्को को नहीं देखा था परन्तु उसने १९२५ में प्रकाशित आल्डो हक्स्ली का 'पुनरुत्थान ' का बखान करता निबंध पढ़ा था जिसमे लिखा था: "विश्व की ये महानतम तस्वीर  हमारे सामने सम्पूर्ण एवं वास्तविक वैभव में वहां खड़ी है।" क्लर्क की बदौलत, वो क़स्बा अपनी मशहूर पेंटिंग के साथ बच गया। जब इस प्रकरण के वृतांत अंततः सामने आये, क्लार्क को एक स्थानीय नायक के रूप में सराहा गया और आज भी साँसेपोल्क्रो में एक सड़क उसके नाम पर है।