हम ये ख़ास महीने की शुरुआत कर रहे हैं क्रॉलर - म्युलर म्यूजियम में चल रही प्रदर्शनी से जिसका शीर्षक है -एक नयी दुनिया की शुरुआत (प्रदर्शनी 29 सितंबर 2019 तक रहेगी) और इसी प्रदर्शनी में प्रदर्शित है मूर्तिकार मारिओ मरिनि द्वारा कृत 'घोड़ा व् घुड़सवार'। मरिनि 20 वी शताब्दी के महत्वपूर्ण मूर्तिकार थे और वे मशहूर थे घुड़सवारों की मूर्तियों के लिए , जैसा की आज की प्रस्तुति है। :)
घुड़सवारों की मूर्तियां मरिनि की कृतियों का मुख्य विषय रहीं है। ये विशेषता उन्हें इटालिया कला के इतिहास काल में ख़ास जगह देती है जहाँ घुड़सवार शासकों की मूर्तियों का विशेष स्थान था। इसके साथ साथ वे फासीवादी कला के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहे क्यूंकि उनका ताक़त व् प्रभुत्व पर गहरा प्रभाव था। मरिनि ने घुड़सवार की मूर्तियां पीतल व् लकड़ी में बनाई और अभिव्यंजना के लिए उनमे रंगों का भी इस्तेमाल किया। इस घोड़ा व् घुड़सवार की मूर्ति का उनसे ख़ास भावनात्मक जुड़ाव था चूँकि ये मानव अस्तित्व के प्रतीक के रूप में बनाई गयी थी। कुछ मूर्तियों में घुड़सवार आराम से सीधा बैठा दिखाया जाता है और कुछ मूर्तियों में सिर्फ उठता घोडा दर्शाया जाता है। परन्तु इस मूर्ति में घुड़सवार घबराहट में अपनी दोनों भुजाएं हवा में उठाये हुए है। घोडा भी अपना मुँह पीछे को करता दिखाई देता है जैसे की वो घुड़सवार को अपनी पीठ पर से हटाना चाहता हो। मरिनि इन भिन्न भिन्न संस्करणों को एकता , शक्तिहीनता व् संतुलन के अभाव का प्रतीक मानते हैं। अपनी इस मूर्ति से वे मानव की निर्भरता व् भेद्यता की प्रवृति को दर्शाते हैं।
इस प्रदर्शनी के बारे में और यहाँ पढ़ें |