एक बार की बात है, एक सुन्दर देसी महिला थी मोएमा जो कि टुपिनम्बास जनजाति से थी, जो कि ब्राज़ील के वो लोग थे जो सोलहवीं सदी में रहते थे। एक दि एक टूटे हुए जहाज से एक नाविक वहाँ आया। वह यूरोप से आया था और उसका नाम डिओगो था। उसने जल्द ही जनजाति का भरोसा और मोएमा का दिल जीत लिया। वह दोनों प्रेमी थे और बहुत खुश थे। कहानी यहाँ एक अच्छे अंत के साथ खत्म हो सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मोएमा से मिलने के कुछ दिनों बाद डिओगो पैरागुआकु से मिलता है जो कि पड़ोसी जनजाति में रहता था। वह उसके प्यार में पड़ जाता है और आप समझ सकते हैं क्या हुआ होगा, उसने मोएमा को छोड़ दिया। जब एक नाव वहाँ आई और डिओगो के पास वापस घर जाने का मौका आया तो वह अपने साथ अपनी प्रेयसी पैरागुआकु को भी ले गया। नाव को जाता देख डिओगो का नाम चिल्लाते हुए मोएमा तैर कर उसतक पहुँचने की कोशिश करती है जबकि नाव क्षितिज पर खो जाती है। प्यार और समुद्र से हारने के बाद सुन्दर देसी महिला स्वयं को मृत्यु को सौंप देती है और डूब जाती है। यह कहानी महाकाव्य कारामुरु पर आधारित है जिसे १७८१ में संता रीता डुराओ ने लिखा था।
विक्टर मीरेलेस (1832-1903) जो कि एक चित्रकार होने के साथ-साथ अकेडमी ऑफ़ फाइन ऑर्ट्स में एक चहेते शिक्षक भी थे ने कहानी के अंत में मोएमा के साथ क्या हुआ होगा का चित्रण किया है। उसका निर्जीव शरीर उसी समुद्रतट पर पड़ा हुआ जहाँ उसने पहली बार डिओगो को देखा था। यह ब्राजील के प्राथमिक निवासियों के पौराणिक प्रकृति का एक आदर्श चित्रण है।
- रूत फरेरा