ऐशेज़ यानी राख में मंच ने एक नव युगल को अंधेरे जंगल में दिखाया है। वातावरण मायूसी और नाउम्मीदी से भरा हुआ है। पुरुष बाँई ओर सिर पर हाथ रखे बैठा हुआ है। उसका चेहरा हरा है, वो बीमार प्रतीत होता है। महिला बीच में अपने दोनो हाथ लंबे लाल बालों पर रखे खड़ी है। उसकी आंखे चित्र देखने वाले को देख रही हैं और उसके चेहरे पर मायूसी और वीरानेपन की रेखाएँ है।
राख। धधकती इच्क्षा के बाद क्या बचता है?
राख का मूल भाव कमी या खालीपन से है। प्यार की कमी, आपसी मेल जोल, सवांद और जीवन की खुशी की कमी। अपनी भावुक भाव भंगिमा के साथ साथ एक अपराध बोध की अनुभुति जो कि उन्हें बोझिल करती लग रही है के होते हुए भी जोड़ा बहुत ही प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
अगर आप महान मंच संग्रहालय से मंच की और भी कलाकृतियों को देखना चाहते हैं तो इस लेख पर एक नज़र डालें "एडवर्ड मंच और मृत्यु".