अंथोनी वान डायक के कलाकर जीवन के संधर्ब में उनके द्वारा कृत ये आत्मचित्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है जो उनके कलाकार जीवन के शुरुआती दौर का है। इस चित्र में अंथोनी 14- 15 बरस की आयु के दर्शाये गए है , जो हाल ही में अपने चित्रकारी अपरेंटिसशिप का समापन कर चुके हैं परंतु मास्टर गिल्ड ऑफ संत लूक की उपाधि मिलने से चार साल पहले के अंथोनी के चित्रण में उनका बालकपन नही बल्कि उनका अपनी काबिलियत पर आत्मविश्वास खूब झलकता है। यह आत्मविश्वास 1624 के बाद में कृत आत्म चित्रों में एक खास विशेषता बन गया ।
चेहरे के हलके अग्रभाग व् आँखों को दर्शाने में गाढ़ा इम्पास्तो का प्रयोग किया गया है , हालाँकि लाल बिखरे बालों को दर्शाते विश्वस्त ब्रश्स्टरोक उनके काम में शोधन को नहीं दर्शाते जो उनके बाद में बनायीं गयी कृतियों में दिखती है , खासकर टिटियन के प्रभाव में बनायीं गयी। परन्तु कॉलर को पेंट करता ब्रश्स्टरोक एक ग़ज़ब का आत्मविश्वास दर्शाता है।
ये आत्मचित्र वान दयिक द्वारा स्वः अध्ययन के दौरान कृत अति प्रभावशाली आत्मचित्रों की श्रंखला के शुरुआती
दौर का है, जो 1620 से बहुत तीव्र क्रम में निष्पादित किये गए। डाइक जो एक बहुभाषी पथिक थे और उन्होंने रुबेन की भांति इटली के दौरे किये थे , उस दौरान उनका टिटियन की कृतियों से परिवर्तनकारी अनुभव हुए। उसके बाद डाइक के द्वारा मशहूर लोगों पर कृत कृतियों में से उनकी कृतियों को " समता के शिखर" पर माना गया जहाँ उन्होंने उन मशहूर लोगों के चित्रों की श्रंख्ला के बीच अपने आत्म चित्र को रखा। उसके साथ उन्होंने ने सूरजमुखी के फूलों से साथ एक आत्मचित्र बनाया जहाँ उन्होंने एक दरबारी का स्वरुप में दिखाया जो की राजा चार्ल्स -1 के प्रति उनकी ईमानदारी का प्रतीक है। सन् 1632 से उनकी अंतिम दिवस तक उन्होंने दरबार कलाकार के रूप में अंग्रेजी शाही दम्पति चार्ल्स 1 व् हरीतता मारिया के दरबार में कार्य किया।
ये आत्मचित्र 1613 /1614 वान डायिक के व्यक्तित्व व् शैली के बारे में काफी महत्वपूर्ण विशेषताएं अंकित करता है। क्या ये कहना सही होगा के वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनि थे ? इस सवाल का जवाब यक़ीनन ही हाँ में होगा।
आज के चित्र के लिए शुक्रगुज़ार हैं अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स , विएना