आज की कला, कोपेनहेगन में स्थित Statens Museum for Kunst द्वारा प्रस्तुत है :)
विल्हेम हम्मर्शी और उनकी पत्नी अनियमित अंतराल से कई यूरोपीय शहरों में रहे। जैसे की - वे अक्टूबर 1897 के अंत से लेकर मई 1898 के अंत तक लंदन में रहे। उस समय पेरिस एवं रोम से भिन्न , लंदन को कला की राजधानी नहीं मानी जाती थी , इसलिए ऐसे डेनिश कलाकार का लंदन जाना स्वाभाविक रूप से आश्चर्य निमित्त होता है।
निस्संदे मुख्य कारण था अमेरिका में जन्मे चित्रकार जेम्स एबॉट मैकनील व्हिस्लर (1834–1903). लंदन में हम्मर्शी ने ऐसा कदम उठाया जो उनके चरित्र के काफ़ी विरुद्ध था। हम्मर्शी ने व्हिस्लर को पत्र लिखा और व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहा लेकिन वह संभव न हो सका। व्हिस्लर को सीधे प्रस्ताव देने का मुख्य कारण था उनका द इंटरनेशनल सोसाइटी के 1898 उद्घाटन प्रदर्शनी में अपना प्रतिनिधित्व कायम करना। यहाँ वे टू फिगर्स नामक चित्र जिसमे वे अपनी पत्नी इडा के साथ दर्शाए गए हैं काफी अध्ययन के बाद, जैसे की ये पेश चित्र, प्रस्तुत करने की इच्छा रखते थे।
इस चित्रकार का यह इरादा नहीं था की "तस्वीर" के नाम पर उनका चित्र निहित हो, और वाकई में यह चित्र कुछ और भी दर्शाता है, इसमें ना सिर्फ अच्छी समरूपता है : एक अप्रत्यक्ष उपस्थिति की अभिव्यक्ति, एक पेंसिल द्वारा बनाया गया चित्र जो लियोनार्डो की अनुकृति भी करता है। एक दूसरा स्पष्ट प्रेरणा स्रोत है संग्रहालय की एक तस्वीर का जिसमे एक जवान महिला कार्नेशन फूल के साथ दर्शायी गयी है , जिसे रेम्ब्रांट के नाम के साथ जोड़ा जाता था लेकिन अब विल्म ड्रॉस्ट (1633–58)के नाम से आरोपित किया जाता है। हम्मर्शी ने दस वर्ष पहले इसी चित्र का प्रतिरूप बनाया था।
-जन गार्फ
P.S. विल्हेम हम्मर्शी के शांत जिंदगी को और नज़दीकी से जानिए यहाँ