"कार्रोना" by Javier Pérez - २०११ "कार्रोना" by Javier Pérez - २०११

"कार्रोना"

  • Javier Pérez - 1968 Javier Pérez २०११

कल्पना कीजिये की आपने एक ख़ूबसूरत और जटिल कांच का झूमर बनाया... और जानभूझ कर उसे ज़मीन पर गिरा दिया। स्पेन के कांच कलाकार जेवियर पेरेज़ ने अपने उत्तेजक और व्यग्र करने वाली रचाना, "कार्रोना", के साथ यही किया। यह टूटा हुआ, खुनी लाल झूमर एक शव का वर्णन करता है, जिस पर भूखे कौवे लालच से खाने की फ़िराक में बैठे हैं, और उनकी चोचों से काच के टुकड़े गिरते हुए दिखाए गए हैं। इसके आस पास लाल और पीले रंग के कांच के टुकड़े फैले हुए नज़र आते हैं, रक्त व रक्तरस की और संकेत करते हुए। यह रचना बेहद बेचैन एवं अस्थिर करने वाली है।

बार्सिलोना-स्थित इस कलाकार को लाल रंग और उसके प्रतीकात्मक आशयों में दिलचस्पी के साथ साथ खूबसूरती और घृणा, आध्यात्मिकता और शारीरिकता, निर्माण और विनाश (और इन से सम्बंधित कायापलट) जैसे विरोधी विषयों में रूचि है। ग्लास, रेजिन, कांस्य, लेटेक्स, और चीनी मिट्टी के बरतन के साथ काम करने के अलावा, पेरेज़ ने अपने प्रतिष्ठानों में घोड़े की खाल, आंतों और रेशमकीट कोकून जैसी असंभावित सामग्री को शामिल किया है जो असमानता और चक्रीय जीवन की परिकल्पना करते है।

यहाँ, सदियों पुराने प्रसिद्द विनीशियन कांच कारीगरी का पतन दर्शाने के लिए भीषण कल्पना की प्रस्तुति का इस्तेमाल किया गया है। 1291 में वेनिस से पास के द्वीप मुरानो में स्थानांतरित, इस उद्योग ने 16 वीं शताब्दी में अपना स्वर्णिम काल प्राप्त किया। अगली ही शताब्दी में अंग्रेजी और बोहेमियन क्रिस्टल के विकास में गिरावट आई, और नेपोलियन ने 1807 में ग्लास फैक्ट्रियों को बंद कर दिया, जो श्रद्धेय ग्लास निर्माताओं का निधन था। हालांकि कई दशकों बाद इस कला को पुनर्जीवित किया गया, मुरीनो ग्लासमेकिंग उद्योग सिकुड़ती हुई मांग और नकलकर्ताओं से प्रतिस्पर्धा के कारण पतन में है।

पेरेज़ ने यह अद्भुत रचना २०११ में मुरानो में बनाई।

- मार्टिना कोगन

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