लुबुमिर टॉमसज़ूसकी एक पोलिश-अमेरिकन मूर्तिकार, चित्रकार और डिज़ाइनर हैं I वे भावनात्मकतावाद (एमोशनलिस्म) नामक कलात्मक संकल्पना के रचनाकार हैं जिसमे २०वी सदी के अत्यंत रूपवादी कला (फोरमालिस्म) के प्रतिउत्तर में 'कम प्रदर्शन अधिक तत्त्व' का सिद्धांत निहित है I
टॉमसज़ूसकी ने किसी पुराने कलाकार का अनुसरण नहीं किया क्यूंकि वे एक ऐसी कला का निर्माण करना चाहते थे जैसा किसी ने कभी न किया हो, किन्तु उन्होंने भावनाओं के आह्वाहन के लिए अक्सर पारम्परिक विषयों और सूत्रों का उपयोग किया. उनकी अनोखी कल्पना के स्त्रोतों में ग्रीक पौराणिक कथाएँ एवं बाइबिल थे. कलाकार का मकसद ऐसी कलाकृतियों का सृजन था जो विभिन्न रूपों में दर्शकों की भावनाओं को प्रभावित करे.
टॉमसज़ूसकी ने संत सेबेस्टियन को दीर्घीभूत आकार वाले युवा पुरुष के रूप में दिखाया है I संत केवल एक बाण से बिंधे हैं किन्तु प्रतिमा का यह स्वरुप उनके शहादत को दर्शाता है और तीव्र भावनाएं पैदा करता है. धातु की सतह खुरदरी है और दृश्य के नाटकीय तीव्रता को बढ़ाने के लिए हरीतिमायुक्त की गयी है I
पुराने कलाकारों के लिए संत सेबेस्टियन की शहादत पुरुष सौंदर्य को व्यक्त करने का अवसर था और भला हो इस संत का जो समलैंगिक पुरुषों के अधिकारों के अनौपचारिक संरक्षक बने I एक शहीद की यंत्रणा और यौन उन्मुखीकरण आधारित भेदभाव की तुलना के रूप में इस प्रतिमा को सामाजिक सन्दर्भ में भी देखा जा सकता है I
आज की प्रतिमा हम लुबुमिर टॉमसज़ूसकी फाउंडेशन के सौजन्य से प्रस्तुत करते हैं I
पि.एस. क्या आप जानते हैं की संत सेबेस्टियन एक समलैंगिक आइकॉन थे ? यहाँ और जाने !