अधिकांश पोर्ट्रेट का उद्देश्य सिटर के रूप की झलक को जीवित रखने के अलावा उनके धन, शक्ति, विशेषाधिकार या नाम को अमर करना होता है I इस पोर्ट्रेट के साथ एक गुरु ने अपने शिष्य को सम्मानित किया है और एक रचनात्मक प्रतिभा का जश्न मनाया है जिसे कई समकालीन अमेरिकी नहीं पहचानते I
चित्रकार थॉमस एकिंस १९वी सदी के अंतिम चतुर्थांश के अमेरिका के सबसे महान चित्रकारों में से थे और एक प्रभावशाली गुरु थे I उन्होंने पेंटिंग में कुछ गैर परंपरागत दृश्टिकोण अपनाया और प्रकृति का सीधे और सतर्क अवलोकन के समर्थक थे I इस वजह से उन्होंने शल्य अंग विच्छेद से गुजर रही शरीरों का परिक्षण किया I उनकी सबसे मशहूर और गैर पारम्परिक पोर्ट्रेट फ़िलेडैल्फ़िया के सर्जन डॉक्टर शमूएल डी . ग्रॉस की थी जिसमे उन्हें एम्फीथियेटर के उत्सुक छात्रों को अनदेखा करते हुए ऑपरेशन के मध्य में दिखाया है I एकिंस जल्द ही देश के शीर्ष कला केंद्र पेनसिलवेनिया अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स के निदेशक पद पर आसीन हो गए लेकिन नग्न पुरुष मॉडल को छात्रों के सामने प्रकट करने की वजह से उन्हें अपना पद गवाना पड़ा I
यह सिटर हेनरी ओ टान्नर है जो पहले अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मशहूर अफ्रीकी-अमेरिकन कलाकार हैं। १८५९ में पैदा हुए, वे अफ्रीकन मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च के बिशप और एक भागी हुई गुलाम के पुत्र थे।आरम्भ में स्वयं-शिक्षित,रिकंस्ट्रक्शन के दौरान वे पेनसिलवेनिया अकादमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स में एकिंस के शिष्य बन गए। वहां उन्हें अपने सहपाठियों से तंग होना पड़ा और नस्लभेदी प्रताड़नाएं अपने सहपाठियों से मिली। बाद में, और कई अमेरिकी समकालीनों की तरह वे भी यूरोप में अपनी शिक्षा पूरी करना चाहते थे। प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व पेरिस विश्व की सांस्कृतिक राजधानी थी। वे अकादेमी जूलियन से स्नातक हुए, मानव शरीर, वास्तु-कला और भू-दृश्य के कुशल पेंटर बने और इन कौशलों ने उन्हें पाश्चात्य कला की पराकाष्ठा पर पहुंचाया और उन्होंने ऐतिहासिक और धार्मिक बिंबविधान की रचना की। अमेरिका के डिपार्टमेंट स्टोर रईस रोडमैन वन्नामकेर की मदद से टान्नर पलेस्टाइन गए।उनकी बिब्लिकल और ओरिएण्टल दृश्यों के चित्र काफी पसंद किये जाते खास कर के अपनी सत्यता के लिए। कई अफ्रीकी अमेरिकन कलाकार-पेंटर, लेखक, संगीतकारों की तरह-टान्नर को पेरिस किसी भी अमेरिकी शहर से ज्यादा बेहतर लगता था और उन्होंने अपना अधिकांश व्यस्क जीवन वही बिताया अपने रचनात्मक प्रतिभा के लिए पहचान पायी।
इस पोर्ट्रेट को १९०२ में घर की एक लघु यात्रा के दौरान बनाया गया। यह एकिंस की अपने मशहूर शिष्य के लिए एक निजी श्रद्धांजलि थी। वाकई एकिंस ने केवल कुछ ही पूर्व शिष्यों के चित्र बनाए।इस पोर्ट्रेट को कलाकार ने अपने पास अपनी मृत्यु तक रखा। जहाँ उनके समकालीन अपने नस्लीय पक्षपात की वजह से एक अश्वेत पुरुष की रचनात्मकता को स्वीकार नहीं कर सकते थे, एकिंस ने उन्हें यहाँ अमर कर दिया। उन्होंने जानबूझ कर एक प्राचीन कलात्मक परंपरा का प्रयोग किया है, जिसे क्लासिकल प्राचीन काल और पुनर्जागरण के महान कलाकारों ने पहचान लिया होता। एकिंस ने टान्नर की ललाट को गर्म प्रकाश से नहला दिया है जो उनके रचनात्मक प्रतिभा का बोधक है जो मियुस की देन है।
हम आज की पेंटिंग द हाईड कलेक्शन के सौजन्य से प्रस्तुत करते हैं।
पि.इस. अफ्रीकी-अमेरिकन कला के अगुआ टान्नर के बारे में और जाने यहाँ !