लेमन्स इन ए बौल, शर्फबेक की देर की अवधि के कार्यों में से एक उत्कृष्ट कृति है, जो १९१५ के बाद से चित्रित फल की एक श्रृंखला के अंतर्गत आता है। जैसे - जैसे उनके जीवन में अधिक एकान्त आता गया, वैसे ही शर्फबेक ने अपने तत्काल परिवेश में निर्जीव वस्तुओं की अभिव्यंजक क्षमता की खोज की। इस काम में चमकीले रंग का विषय एक चपटे, लगभग अमूर्त स्थान से निकलता है। शर्फबेक ने विदेशी नीम्बुओं के जीवंत रंग सामंजस्य का अन्वेषण किया है जो फिनिश मसूर बर्च कटोरे के भीतर रखे हैं।
जब शर्फबेक के अंतिम वर्षों में उनका स्वास्थ्य कमज़ोर होता गया, तब उनके डीलर गोस्टा स्टेनमैन ने उन्हें स्वीडन जाने का आग्रह अनेक बार किया। आखिरकार फरवरी १९४४ में उन्होंने अपना स्थान-परिवर्तन किया। शर्फबेक ने अपना शेष जीवन स्टॉकहोम के दक्षिण-पूर्व में स्थित साल्ट्सजोबडेन स्पा होटल में व्यतीत किया। यह संभव है कि १९४४ में वहीं पर रहते समय उन्होंने यह कार्य पूरा कर लिया होगा। मृत्यु के कगार पर उनके कलात्मक उत्पादन ने एक नई तीव्रता और दृढ़ता का प्रदर्शन किया था जिसे उनके बीस बेधडक और वास्तविक स्व-पोर्ट्रेट्स में देखा जा सकता है। यह उनकी कलाकृतियों का मुख्य आकर्षण हैं।
अनुलेख: हेलेना सोफिया शर्फबेक निश्चित ही एक महिला फिनिश रत्न हैं! इस बेहतरीन चित्रकार के बारे में यहाँ और पढ़ें। <3
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