द गोल्डफिंच  by Carel Fabritius - १६५४  - ३४ × २३ सेमी  द गोल्डफिंच  by Carel Fabritius - १६५४  - ३४ × २३ सेमी

द गोल्डफिंच

कैनवास पर तैलिये • ३४ × २३ सेमी
  • Carel Fabritius - 1622 - 12 October 1654 Carel Fabritius १६५४

हेग के मॉरित्शुई में यह हमारा आखिरी रविवार है, मगर डेलीआर्ट में उनकी महान कलाकृतियों की प्रस्तुती हम जारी रखेंगे :)) मैं आशा करती हूँ की हमने आपको वहाँ जाने के लिए प्रेरित किया होगा.

१२ अक्टूबर १६५४ को, डेफ्ट बारूद गोदाम में धमाका हुआ और मलबा शहर के बड़े हिस्से में फ़ैल गया. इस विस्फोट का असर चित्रकला पर भी पड़ा क्योंकि इसमें उस दौर के एक प्रतिभाशाली कलाकार, करेल फेब्रिटियस (१६२२-१६५४) की असामायिक मृत्यु हो गयी. दुर्घटनास्थल के पास स्थित उनकी शिल्पशाला पूरी तरह से नष्ट हो गयी. संभवतः इसलिए उनके इतने कम चित्र बचे हैं, लेकिन उनकी कृतियों का छोटा संकलन भी उनकी प्रतिभाशाली गुणवत्ता और मौलिकता प्रदर्शित करता है. उनका धाराप्रवाह और अचूक तूलिका कौशल उन्हें रेम्ब्रांट का सबसे प्रतिभाशाली शिष्य बनाता है, और उनके प्रकाश के असाधारण प्रतिपादन ने जोहानस वेर्मीर को प्रेरित किया. द गोल्डफिंच फेब्रिटियस के महानतम कृतियों में से है जो उनकी मृत्यु के वर्ष से है. यह एक छोटी चिड़िया का मार्मिक चित्र है जो एक सफ़ेद प्लास्टर दिवार के सामने अपने खाने के डब्बे से बंधी है. 

गोल्डफिंच उसके चेहरे के लाल रंग (जो वर्षों में फीका पड़ गया है) और उसकी काली पंख पर चमकीली पीली धारी से पहचानी जा सकती है. इस चिड़िया को उसका डच उपनाम (पुत्तेर्जी) उसे सिखाई जाने वाली तरकीब से मिला था: वह अपने पीने का पानी खुद कड़ी से लटकी छोटी सी बाल्टी से एक छोटे से पानी के पात्र से खींच (पुत्तेन) लेती थी. उसे अपने खाने के डब्बे का ढक्कन खोलना भी सिखाया जा सकता था. गोल्डफिंच ७वी शताब्दी का लोकप्रिय पालतू जीव था. फेब्रिटियस की यह असाधारण कृति संभवतः एक दृस्टिभ्रम आभासी कला थी जिसे वास्तविकता का भ्रम पैदा करने के लिए बनाया गया था. चित्र को शायद दिवार पर ऊँचा टांगा जाना था क्यूंकि गोल्डफिंच नीचे से दिखाया गया है. दूर से यह आश्चर्यजनक रूप से असली दिखता है.

यहाँ पाए करेल फेब्रिटियस के धमाकेदार जिंदगी और मौत की कहानी.