आनिएला सुकिएरोवना (Aniela Cukierówna) (1900-1944) सबसे अधिक अपने लकड़ी पर नक्काशी के बने प्रिंट्स के लिए जानी जाती हैं, लेकिन महान पोलिश कलाकारों जैसे स्कॉज़िलास (Skoczylas), कोतारबीनस्कि (Kotarbiński) और यास्त्रेंबोव्स्कि (Jastrzębowski) की इस शिष्या को सिर्फ प्रिंट्स में ही महारत हासिल नहीं थी,अपितु इन्होनें किलिम्स (हस्तनिर्मित कालीन) और अभिरंजित कांच की खिड़कियाँ भी बनायीं थीं। उनके द्वारा बनाई गयी एक बड़ी खिड़की, संत फ्राँसिस के फूल (Flowers of St. Francis), इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुत अच्छे से स्वीकार की गयी थी।
युद्ध प्रेस ने उन्हें "कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती" बताया था। यह देखते हुए की उन्होंने बुनाई, अभिरंजित काँच और लकड़ी की नक्काशी जैसी कठिन विधाओं में कार्य किया, उनमें ये गुण होने आवश्यक भी थे।
यहूदी ऐतिहासिक संस्थान (जे.एच.आई) के संग्रह में संरक्षित यह लकड़ी की नक्काशी उनके सबसे दिलचस्प और कुछ जो संरक्षित किये गए कार्य थे, उनमें से एक है। यह वॉरसॉ में तमका स्ट्रीट पर स्थित 'डॉटर्स ऑफ चैरिटी' मठ को दर्शाती है।
यह मठ रानी मारिया लुदविका गोंज़ाना (Maria Ludwika Gonzaga) (1611–1667) द्वारा स्थापित किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसके नष्ट हो जाने के बाद इसे फिर से बनाया गया था और अभी भी तथाकथित वारसॉ स्कार्प, विस्तुला नदी के ऊपर एक चट्टान, के ऊपर से इसे देखा जा सकता है। यह संभवतः वह स्थान भी है जहां से सुकिएरोवना ने अपनी नक्काशी को तैयार करते हुए इमारतों को बनाया था।
पहले तो यह कलाकृति सिर्फ वॉरसॉ के एक सुरम्य स्थान को दर्शाती सी प्रतीत होती है लेकिन बारीकी से निरीक्षण करने पर गर्म रंगों से रचित यह पूरी रचना एक पैटर्न वाली किलिम के स्वरुप दिखाई पड़ती है । इन रंगीन टेपेस्ट्री-बुने हुए कपड़ों का प्रभाव सुकिएरोवना द्वारा निर्मित नक्काशी में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। दुर्भाग्य से, शायद सुकिएरोवना के द्वारा बनाये गए किलिम में से एक भी नहीं बचा है।
आनिएला सुकिएरोवना की कला को डेलेट पोर्टल पर देखा जा सकता है।
- याकूब बेन्दकोव्स्कि
P.S. यहाँ तीन अज्ञात महिला कलाकारों के बारे में पढ़ें, उनमें से कुछ यहूदी हैं!