"ज़रा इसे देखो: पुरुषों की टोपी, पुरुषों की वास्कट, मैली स्कर्ट, फटे-पुराने कपडे, चेहरे का फीका रंग, ऊपर कि ओर उठी हुई ठोड़ी और आँखों में लक्ष्यहीनता, थकान, द्वेष और घृणा..."
ऐसी कईं समीक्षा इस अनैतिक चित्र के बारे में लिखी गईं, यह पहला चित्र था जो बेस्टुशेव पाठ्यक्रम कि छात्रा को दर्शाता है और जो रूसी साम्राज्य का पहला महिला विश्वविद्यालय था।
यह छात्रा सेंट पीटर्सबर्ग के कोहरे से निकलती हुई बड़ी सावधानी से अपनी किताब को बारिश से बचा रही है। उसके गीले बाल अनुचित ढंग से छोटे कटे हुए हैं और ना ही उसने कोर्सेट और बस्सल (एक प्रकार का अंदरूनी वस्त्र) पहना है l उसकी टोपी में भी फूल नहीं लगें हैं l इसके अलावा, उसने पुरुषों का चौडे चमड़े का कमरबंद पहना है। उसकी छवि व्यावहारिक है और उसने तैयार होने में कम से कम समय लगाया है। सिर्फ उसका चमकदार सफ़ेद कॉलर उसकी किताब के सफ़ेद पन्नों से मेल खता है।
उसकी खुली बांह ने उसकी चाल को आत्मविश्वास से भर दिया है। चित्र में शायद संध्या का समय है क्योंकि विश्विद्यालय में कक्षाएँ साँय: सात बजे आरम्भ होती और नौ बजे समाप्त हो जातीं थीं । दिन का समय काम करने के लिया था (छात्रवृत्ति की सुविधा न होते हुए छत्राओं को पढ़ाई के लिए अस्थिर धनराशि पर निर्भर रहना पड़ता था)। चित्र में आन्ना डीटरिख्स को दर्शाया गया है (जो वास्तविक में एक छात्रा थीं), जो भविष्य में लेव टॉलस्टॉय के मित्र की पत्नी बनीं थीं। चित्रकार ने उसे एक वास्तविक रूप से नहीं बल्कि एक सामान्य प्रकार की युवती के रूप में चित्रित किया था जिसने शिक्षा लेने का निर्णय लिया था।
- तात्याना एडामेंको
अनुलेख. आन्ना के कपड़े 19 वीं सदी के लिए बहुत प्रगतिशील थे l 1920 हमारा पसंदीदा फैशन दशक है!