इस पेंटिंग को सम्मानित अदालत के चित्रकार मनोहर ने चित्रित किया था, जिन्होंने अकबर और उनके बेटे, जहाँगीर के अधीन शाही मुग़ल चित्रालय के एक सदस्य के रूप में कई उत्कृष्ट कार्य किए। चित्र में अकबर द्वारा मुगल दरबार में स्थापित एक समारोह को दर्शाया गया है। यह दरबारी ज्योतिषियों द्वारा आंकलन किए गए शुभ घड़ी में आयोजित किया गया था। इसमें सम्राट या उनके एक बेटे को सोने, चांदी, या अन्य कीमती धातुओं को उनके भार अनुसार एक बड़े संतुलन मापक में तौलकर गरीबों में बाँट दिया जाता था।
यहां, संतुलन मापक पर आलथी-पालथी मारकर बैठा युवक लड़का प्रिंस खुर्रम है जिसका १५ वां जन्मदिन समारोह ३१ जुलाई, १६०७ को मनाया गया। यह सेटिंग, अलंकृत चंदवा या शामियाना के तहत एक मंडप या बगीचे का है। पेड़ और पत्ते ऊपरी दाईं ओर दिखाई देते हैं, जो वास्तु विवरणों के बीच से झांकते हुए प्रतीत होते हैं। प्रिंस खुर्रम को मापक के एक पैन पर आलथी-पालथी मारकर बिठाया गया है और दूसरे पैन पर सोने और चांदी के कई बैग हैं। पेंटिंग के अग्रभूमि में कई और गहने वाले ट्रे रखे गए हैं, जिनमें क़ीमती वस्त्र, रत्न जड़ित खंजर और चाकू, कप और तश्तरियां भरी हुई हैं और कुछ उत्कृष्ट गहने दान के लिए भी रखे गए हैं। सभी उपस्थित अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों की पहचान उनपर लिखे उनके नामों से की जाती है, जो नास्तालिक लिपि में है। कोर्ट के पुजारी तराजू की रस्सी पकड़ते हैं और युवा राजकुमार के लिए प्रार्थना और आशीर्वाद देते हैं। प्रिंस खुर्रम बड़े होकर शाहजहाँ बने, जो ताजमहल के निर्माता थे।
मुगलों की अपार धन-संपत्ति, वास्तुकला, अलंकृत संतुलन तराजू और अमीर कालीन मंडप को प्रदर्शित करने कि कोशिश इस चित्र में स्पष्ट है। कपड़े के पैटर्न, शमियाना, कालीनों के साथ-साथ अलंकृत बॉर्डर पर मनोहर का जटिल चित्रीकरण मंत्रमुग्ध करन देने वाले हैं - प्रिंस खुर्रम के नीचे, कालीन पर दिखाई देने वाली तीन नर्तकियों को देखना न भूलें!
- माया टोला
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