एना अंचर सहित स्कागेन चित्रकार (अगर आपने उनके बारे में नहीं सुना है, तो कृपया हमारे संग्रह की जांच करें !) अक्सर प्रकृतिवाद आंदोलन से जुड़े होते हैं, जिसका उद्देश्य दुनिया का यथासंभव सटीक प्रस्तुतीकरण है। लेकिन अगर हम एना अंचर के कार्य शैली को देखे तो हमें पता चलता है कि वह किस तरह अपने विषयों को सरलीकृत करती हैं। शायद उनके चित्र उतने स्वाभाविक और सच्चे नहीं है ?
अपनी कला को सरल बनाने की प्रेरणा उन्हें विभिन्न स्थानों से मिली। जब एना अंचर ने १८८९ में पेरिस में विश्व मेले में भाग लेने के लिए छह माह बिताए तो उन्होंने विश्वप्रसिद्ध फ़्रांसिसी चित्रकार पूवीस दे चवन्नेस के देखरेख में अध्ययन किया। वह अपने चित्रों की परत छिलने और उनके स्मारकीय पहलु पर बल देने के लिए जानी जाती हैं। इसी समय, यूरोप में जापानी कला के प्रति रुझान की लहर चल रही थी। एना अंचर के पुराने गुरु और मित्र कार्ल मदसेन ने इस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने १८८५ में जापानी चित्रकला पर एक पुस्तक प्रकाशित की और ये सुनिश्चित किया की डेनिस कलाकार जापानी कला के गुणों से परिचित हो जिसमे इसके तीक्ष्ण कटे विषय और पश्चिमी विषयों का उन्मूलन शामिल है।
इस तरह की प्रेरणा से लैस, एना अंचर ने पेंटिंग्स की अपनी शैली विकसित की। वह बार बार एक ही विषय पर आती थी। एक ही विषय को दोहराने से उन्हें विभिन्न समाधानों के साथ प्रयोग करने में सक्षम बनाया। उन्होंने परिक्षण किया कि किस पृष्टभूमि को सरल बनाया जा सकता है, चित्रात्मक स्थान को कितना रिक्त रहने दिया जा सकता है। इस प्रक्रिया में चित्र को छोटा किया जाता जब तक की वह असल दुनिया के प्रस्तुतुकरण से दूर न हो जाये और कैनवास के टुकड़े पर एक अमूर्त अध्ययन बन कर रह जाये।
आप इस पेंटिंग को स्टटेन्स म्यूजियम फॉर कुन्स्ट के सौजन्य से देख रहें हैं जहाँ यह २४ मई तक डेनिस कलाकार एना अंचर के बारे में सबसे बड़े पुरव्यापी में लगाया गया है।
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