पिएर-ऑगस्ट रेनॉयर को अक्सर आकृतियों का चित्रकार माना जाता है। लेकिन १८६० और १८७० के दशक में उन्होंने जिन परिदृश्यों को चित्रित किया था, वे काफ़ी प्रयोगात्मक थे। द सेइन एट शैटू में उन्होंने लगभग पूरे कॅनवास को पानी और आकाश से भरा है। मध्य में रेलवे पुल के पीछे, भूमि की एक सकरी पट्टी क्षितिज रेखा बना रही है। पेंटिंग पर हावी होने वाले जटिल, लगभग भाववाहक ब्रश का काम १८७० के दशक में रेनॉयर के तकनीक की विशेषता थी। परंतु प्रभाववाद के शुरुआती आलोचकों द्वारा इसकी निंदा की गयी थी। रेनॉयर ने सैलून या शुरुआती प्रभाववादी प्रदर्शनियों में अपने परिदृश्यों को प्रदर्शित नहीं किया था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने चित्रों को १८७७ के तीसरे प्रभाववादी प्रदर्शनी में ही दिखाना शुरू किया था, जहाँ उन्होंने पांच परिदृश्य प्रदर्शित किए थे।
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अनुलेख: रेनॉयर के चित्रों में अक्सर एक सुंदर महिला दिखाई देती है। उनका नाम है लिस ट्रेहोट। उनकी रहस्यमय सुंदरता के बारे में यहाँ और पढ़ें!