बच्चों के खेल by Pieter Bruegel the Elder - १५६० - ११८ x १६१ से. मी. बच्चों के खेल by Pieter Bruegel the Elder - १५६० - ११८ x १६१ से. मी.

बच्चों के खेल

पट्टिका पर तैलचित्र • ११८ x १६१ से. मी.
  • Pieter Bruegel the Elder - c. 1525 - September 9, 1569 Pieter Bruegel the Elder १५६०

विहंगम नज़रिये से - इतनी बहुसंख्यक आकृतियों को स्पष्टता से भीतर भरने का ब्रुगल के पास एकमात्र उपाय -  दर्शक नीचे की ओर एक चौढ़ी चौक देखता है, जिसमें एक कोने से दुसरे तक ग्रामीण से शहरी अवस्था का संक्रमण है। दायनी ओर, दृश्य मध्य परिप्रक्ष्य में रची एक लम्बी गली पर खुलता है जो शहर के मुख्य स्थान के रस्ते जाती है, जहाँ एक गिरजाघर या नगर-भवन की मीनार आसमान को चूम रही है। चौक के किनारे, शहर की तरफ कँगूरो का ताज पहनी हुई ईमारत, एक धारा के साथ चलते तोरण पथ पर खुलती है। बायें किनारे में, क्षितिज पर एक सुखद ग्राम नज़र आता है। बच्चें (२३० से अधिक) ८३ विभिन्न खेलों में व्यस्त हैं। पूरा शहर ही मानो जैसे उनका है। ब्रुगल प्रेक्षक को अपने ज़माने के बच्चों के खेलों का विश्वकोशी दृश्य प्रदान करते हैं। आकृतियों और दृश्यों का नन्हापन सारे खेलों की पहचान करना चाहने वाले दर्शक को मजबूर करता है कि वह चित्र के हर विशिष्ट भाग का धीमे और ध्यान से अध्ययन करे - एक मनोरंजक विहार। कुछ आधुनिक विद्वान इस मानवतावाद-केंद्रित, साधारण व्याख्या को नकारते हैं; तथापि बच्चो की यह प्रकटतः व्यर्थ गतिविधियाँ (कदाचित गलती से) मनुष्य के अर्थहीन और मूर्खतापूर्ण व्यव्हार का दृष्टान्त मानी गयी हैं