ये दो पदार्थ, अमरीकी कलाकार रोनी हॉर्न द्वारा बनाये गए , उन्होंने तरल शीशे को एक सांचे में 24 घण्टे तक उतारा और अगले चार महीने तक उसे आराम से ठंडा होने दिया। खुरदरे किनारे इस पदार्थ के , सांचे की संरचना को दर्शाते हैं। उपरा भाग चिकना व् चमकीला है चूँकि यहाँ शीशा सिर्फ हवा के संपर्क में हैं। हालांकि ये देखने वाले के नज़रिये पर निर्भर करता हैं , के ये कभी बिलकुल सीधा सपाट सतह की तरह नज़र आता हैं और कभी एक अनंत गहराई।
इस कला शिल्प में , रोनी हॉर्न ने शीशे के अस्पष्ट चरित्र के साथ प्रयोग किया। जो पिघला और फिर स्थायी रूप से जम गया परन्तु जो मूलतः तरल ही है। इस खेल में रोनी दर्शक को भी उलझाने में कामयाब हुए चूँकि इसे नंगी आँखों से देख कर ये बताना नामुमकिन है के ये शिल्पकारी असल में तरल है या कोई ठोस वस्तु है।
" सफ़ेद के विरुद्ध " एक जोड़ी है और दोनों हिस्सों में कोई अनुक्रम नहीं है। दो तत्व, एक काला और दूसरा सफ़ेद, अपने में भिन्नता नहीं परन्तु बहुत सी समान्यताएँ समेटे हुए है। हॉर्न की मानें तो ये पदार्थ एक दुसरे की परछाई हैं , विरोधी हैं परन्तु रंगहीनता का अनुभव कराते हैं , हालांकि सफ़ेद रंग (रौशनी) अपने में सभी रंग समेटे हुए है।
इस शिल्प कला के लिए हम शुक्र गुज़ार हैं टेरलो में स्तिथ क्रॉलर - म्युलर म्युज़ियम का।
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