जैसा कि आप जानते होंगे कि डेली आर्ट की मूल टीम पोलैंड में स्थित है। आज हमने सोचा है कि आपको स्मिगस डिंगस की हमारी स्थानीय परम्परा के बारे में थोड़ा बताएं। इसे गीला सोमवार भी कहा जाता है।
पारम्परिक रूप से पोलैंड में ईस्टर के बाद वाला सोमवार वो दिन होता है जिस दिन लड़कों को लड़कियों को पानी से भिगोने कि इजाज़त होती है (और वे लड़कियों को पुसी विलो की लकड़ी से मारते भी हैं परन्तु प्रथा का यह भाग आजकल उतना आम नहीं है)। परम्परानुसार लड़कियों को समान हमला करने के लिए अगले दिन का इंतज़ार करना पड़ता था । परन्तु आज सभी के लिए घात लगाने का गीला सोमवार एक ही मौका है।
स्मिगस डिंगस जल खेलों की ठीक ठीक उत्पत्ति कब हुई यह विवादित है परन्तु यह साफ़ है कि ये वसंत एवं उर्वरता के उत्सव का एक भाग हैं। ईस्टर परम्परा के इस भाग को एक पद्धतिगत तरीके की तरह भी देख सकते हैं जिसके द्वारा कृषक समाज के लड़के लड़कियां वैध रूप से भविष्य में जुड़ाव की संभावनाओं को देख सकते थे।
और थोड़ी जानकारी आज के मास्टरपीस के रचयिता के बारे में: ज़ोफ़िआ स्ट्रिजेन्स्का एक पोलिश चित्रकार, ग्राफ़िक डिज़ाइनर, इलस्ट्रेटर, रंगमंच डिज़ाइनर एवं आर्ट डेको की प्रतिनिधि थीं। ओल्गा बोज़नंस्का और तमारा दे लेम्पिका के साथ वे अंतर युद्ध काल की विख्यात पोलिश महिला कलाकारों में से एक थीं।
१९२५ में पेरिस में हुए International Exhibition of Modern Decorative and Industrial Arts में पोलिश पवेलियन का एक भाग उन्होंने बनाया था, जिसमे १२ मासों के लिए ६ चित्रों की एक श्रृंखला थी जो कि ग्रामीण जीवन एवं मौसमी परिवर्तन को दर्शाती थी। इस रचना ने उन्हें पूरे यूरोप में प्रसिद्धि दिलाई और साथ ही ५ विश्व व्यापर पुरस्कार भी मिले। सन १९२७ में उन्होंने पोलिश लोकनृत्य कलाकारों को दर्शाती हुई चित्रों कि एक श्रृंखला बनाई। कई कृतियों में उन्होंने ईसाई धर्म के पूर्व पोलैंड में पूजे जाने वाले स्लाविक देवताओं एवं स्थानीय रिवाज़ों का चित्रण किया है।
अतः डेली आर्ट की टीम कि तरफ से आप सभी को स्मिग्स डिंगस कि शुभकामनाएँ! :)