ग़ैर परोक्ष कारक कला के जनक, वैस्सिली कैंडिंस्की का जन्म १८६६ में आज के दिन हुआ था। चलो उत्सव मानते हैं ! :) हम आज का काम प्रस्तुत कर रहे हैं रूसी संग्रहालय की बदौलत। :)
एक विद्यार्थी के तौर पर, कैंडिंस्की का सरोकार नृवंशविज्ञान से अपने मूल संस्कृति की उत्पत्ति तक पोहोंचने की इच्छा के कारण हुआ। १८८९ की गर्मियों में कुछ ऐसा हुआ जिससे एक कानून के विद्यार्थी के दुनिया को देखने के दृष्टिकोण पर बड़ा प्रभाव पड़ा। प्राकृतिक विज्ञान, मानव-शात्र और नृवंशविज्ञान के संप्रदाय के निर्देश पर उन्होंने एक खोजयात्रा के दौरान एक महीने से भी ज़्यादा उत्तरी रूस के वोलोग्डा प्रदेश में बिताये। किताबसीढियाँ के पन्नों में वे बताते हैं, उत्तरी गावों में किस चीज़ ने उन्हें सबसे अधिक आश्चर्यचकित किया : स्वदेशी पहनावे की विभिन्नता और तेजस्विता। वहां के घर भी भीतर से उतने ही अनोखे थे। बाद में कलाकार ने स्मरण करते हुआ बताया, कुटिया में घुसते ही ऐसा लगता था की तुम किसी परीकथा में आ गए हो। विश्वविद्यालय में पढाई के दौरान उत्तरी प्रभाव उनकी आत्मा की गहराई में छुपा रहा।
मॉस्को विश्वविद्यालय से एक स्नातक और अधिस्नातक छात्र होते हुए भी, कला की शिक्षा लेने के लिए, उन्होने ३० साल की उम्र में अपने थीसिस का काम छोड़ कर म्युनिक तक का सफर तय किया।
कैंडिंस्की ने रंग, रेखाओं एवं अमूर्त रूप की मदद से अपनी भावनाओं को चित्रात्मक रूप में व्यक्त किया। चित्रकला का कथात्मक पहलु उन्हें आकर्षित नहीं करता था : "रंग आत्मा पर सीधा प्रभाव डालने का एक माध्यम है। रंग स्वर-पटल है, हमारी आँखें हथौड़े हैं, आत्मा अनेक तारों वाला पियानो है। कलाकार वो हाथ है जो पियानो बजता है, एक स्वर या दूसरा जानबूझकर चुनता है आत्मा में स्पंदन जगाने के लिए।
१९१७ में रचित नीला शिखर रूपों, रंगों और चित्रों का एक नाटक प्रस्तुत करता है। जीवन का वो भंवर जैसा बहाव, सुरम्य "तत्त्व" का जलना यहाँ आध्यात्मिक तनाव एवं विषादपूर्ण पूर्वाभास की अभिव्यकति है। रचना को सीमित करने वाली अंतग्रंथित बेअदब काली रेखाओं में करुण सुर सुने जा सकते हैं। गूढ़ कलहकारी पृष्ठभूमि एक समुद्री तूफान सी लगती है। शक्तिशाली लहरें जीवन के अवशेषों को निगलती और उगलती हुई : नावें, गुम्बदें, घंटेघर और गिरजाघर। इन सब का आपस में टकराव तथा चित्र के केंद्र में जमाव, रंग अभिव्यक्ति, ये सब मिलकर एक ताकतवर, शक्तिशाली, और परिपूर्ण समस्वर ध्वनि की भावना रचते हैं।
पुनश्च : ये रहा कैंडिंस्की की रूसी परीकथाओं की दुनिया का एक विशेष पूर्वदर्शन।